बिहार। चांद देखने के साथ ही इबादत का पाक महीना रमजान शुरू हो गया है। इसी के साथ इस्लाम को मानने वाले गुरुवार से रोजा रखने लगे है। इस साल पहला रोजा 14 घंटे 58 मिनट का होगा।
स्मरण रहें कि पिछले साल 28 मई से रोजा शुरू हुआ था। रमजान का अंतिम सप्ताह में चांद नहीं दिखा तो पांचवां जुम्मा 15 जून को पड़ने की संभावना है। कहतें हैं कि रमजान इबादतों का महीना है और अल्लाह पाक हर नेकी का सवाब सत्तर गुना बढ़ा कर देता है। लिहाजा, इस पाक महीने में लोग ज्यादा से ज्यादा नेकियां कमाने की कोशिश में लग जाते हैं। रमजान के रोजे के साथ-साथ तरावीह की नमाज का खास महत्व होता है। यह नमाज रात्रि साढ़े आठ बजे के करीब शुरू हो जाती है।
इस्लाम के जानकार मानते है कि रोजे का न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि इसका सामाजिक और आर्थिक महत्व भी है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह शरीर के लिए फायदेमंद है। डॉक्टरों के अनुसार इस संयमित उपवास से पाचनतंत्र दुरुस्त हो जाता है। धार्मिक पक्ष यह है कि रमजान के महीने भर की कठिन साधना से इंसान अल्लाह का नेक और फरमाबरदार बंदा बनने की कसौटी पर खरा उतर सकता है। इस्लाम के पांच फर्जों में से रोजा एक माना गया है।
This post was published on मई 17, 2018 19:45
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