रोड़ा डालकर लाइफलाइन बचाने की जुगत

मुजफ्फरपुर-शिवहर मुख्य मार्ग मे कभी भी ठप पड़ सकता है अवागमन

संतोष कुमार गुप्ता

मीनापुर। दस साल बाद आयी प्रलयंकारी बाढ के बर्बादी का मंजर अब भी दिख रहे है। दो दर्जन पंचायतो मे अब भी इसके साइड इफैक्ट है। बाढ ने जान माल,फसल के साथ साथ पुल पुलियो को भी व्यापक क्षति पहुंचायी है। मीनापुर प्रखण्ड के सभी बड़े पुलो के सम्पर्क पथ मे दरार आ गया है। विभाग ने इसको गम्भीरता से नही लिया तो उत्तर बिहार से मुजफ्फरपुर जिले का कभी भी अवागमन ठप पड़ सकता है। बहरहाल रोड़ा डालकर लाइफलाइन को बचाने का प्रयास जारी है। मीनापुर का गंगासागर पुल मुजफ्फरपुर-शिवहर मुख्य मार्ग का लाइफलाइन कहा जाता है। यहां से रोज छोटे बड़े हजारो वाहन गुजरते है। बाढ के कारण सड़क डेढ फीट धंस गया है। पुल और सड़क के बीच गहराई बन गयी है। सम्पर्क पथ के दोनो छोर पर गढ्ढे बन गये है। अगर छोटे वाहन का पहिया उसमे पड़ा तो वह बड़ी खाई मे जा सकता है। पुल के दोनो छोड़ पर सड़क फट गया है। बाढ के कारण मीनापुर,खरार,रघई,रानीखैरा का भी एप्रोच धंसा है। नतिजतन वाहनो का स्पीड वहां पहुंचते पहुंचते घट जाता है। इसके अलावा दो दर्जन पंचायतो मे भी सड़को व पुलिया का हालत दयनिय है। बाढ राहत के लिए 81 हजार परिवारो की सुची अनुश्रवण समिति द्वारा भेजी गयी। जिसमे से 21 हजार परिवार आज भी नगद छह हजार रूपये से वंचित है। तीस लोगो की डूबकर जाने गयी। आधा दर्जन परिवार के लोगो को आज भी आपदा कोष का चार लाख रूपया नही मिल पाया है। बीडीओ संजय कुमार सिंहा की माने तो बाढ से करीब 24 सौ घरो को नुकसान पहुंचा है। किंतु इन्हे अब तक पीएम आवास योजना का लाभ नही मिला। केला सहित फसलो को व्यापक नुकसान पहुंचा। किंतु किसानो का आवेदन फाइलो की शोभा बढा रहा है।

क्या कहते जनप्रतिनिधि व राजनेता

हिमांशु गुप्ता(पूर्व जिप प्रत्याशी)– पुलो के एप्रोच पथ धंसने से बड़ी दुर्घटना हो सकती है। प्रशासन इसको गम्भीरता से ले। लाइफलाइन पर संकट गहरा सकता है। रोड़ा डालने के बजाये उसको स्थायी तौर पर मरम्मती कराया जाये।
नीलम कुशवाहा (अध्यक्ष,मुखिया संघ,मीनापुर)– मीनापुर मे अनुदान से वंचित बाढपीड़ितो के खाते मे छह हजार नगद की राशि अविलम्ब भेजी जाये। गलती अधिकारियो की है,जबकि बाढपीड़ितो का आक्रोश जनप्रतिनिधियो पर है। बाढ के दौरान स्थायी तौर पर चलने वाले राहत केंद्रो का भुगतान कराया जाये।

अजय सहनी (मुखिया कोईली)-उनके पंचायत के साथ बाढराहत मे नाइंसाफी हुआ है। अब भी उनके पंचायत के 806 बाढपीड़ितो का भुगतान नही हो पाया है। जिनका घर महिनो तक पानी मे डूबा हुआ था। पोलिथिन भी नही दी गयी।
चंदेश्वर साह (मुखिया रघई पंचायत)– बाढ से बर्बाद हुए परिवारो को मुआवजा देने मे प्रशासन ने भेदभाव किया है। उनके पंचायत के कई वार्डो के लोगो के खाते मे अब तक राशि नही भेजी गयी है। जिसके कारण जनप्रतिनिधियो पर लोगो का आक्रोश है।


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