ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान को चेतावनी नहीं, अब आखिरी मौका — चीन और दुनिया को भारत का कड़ा संदेश

India clarifies: 'No ceasefire with Pakistan'; Operation Sindoor to continue

KKN गुरुग्राम डेस्क | ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत एक आतंकवादी हमले के जवाब में भले ही पाकिस्तान के खिलाफ हुई हो, लेकिन इसके पीछे भारत का उद्देश्य कहीं ज्यादा व्यापक है। यह चीन सहित पूरी दुनिया को यह बताने की कोशिश है कि भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देगा, बल्कि रणनीतिक स्तर पर निर्णायक कार्रवाई करेगा

यह ऑपरेशन भारत की उस नई सैन्य और कूटनीतिक सोच को दर्शाता है जिसमें सटीक जवाबनारी शक्ति की भागीदारी, और मल्टी-लेयर रणनीति शामिल है।

 सेना की महिला अफसरों की अगुवाई: शक्ति और संदेश

ऑपरेशन सिंदूर की पहली दो प्रेस ब्रीफिंग में कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की उपस्थिति ने केवल नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व नहीं किया, बल्कि यह दिखाया कि भारतीय सेना अब नई पीढ़ी के नेतृत्व के साथ तैयार है।

उनकी कॉम्बैट यूनिफॉर्म में उपस्थिति और आत्मविश्वास से भरे वक्तव्य ने यह संदेश दिया कि भारत अब सिर्फ सीमाओं की सुरक्षा नहीं कर रहा, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका तय कर रहा है

 पाकिस्तान को अंतिम चेतावनी: अब और बर्दाश्त नहीं

ऑपरेशन सिंदूर का सीधा कारण पहलगाम में धर्म पूछकर की गई हत्याएं हैं, लेकिन भारत की कार्रवाई:

  • न तो पाकिस्तान की आम जनता के खिलाफ थी,

  • और न ही पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाया गया।

भारत ने स्पष्ट रूप से दुनिया को बताया कि यह जवाब आतंकवाद के खिलाफ था, लेकिन पाकिस्तान की ओर से लगातार सीमा उल्लंघन और उकसावे की कार्रवाइयों ने स्थिति को “युद्ध जैसी परिस्थिति” में ला दिया है।

एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने कहा:

“अगर पाकिस्तान एक कदम और आगे बढ़ेगा, तो भारत पीछे नहीं हटेगा। हम आखिरी स्तर तक जाने को तैयार हैं।”

 पाकिस्तान के बहाने चीन को भी सख्त संकेत

पाकिस्तान को जवाब देना असल में चीन के लिए एक परोक्ष चेतावनी भी है। चीन ने हमेशा पाकिस्तान को:

  • आतंकवाद के मुद्दे पर बचाया है,

  • सैन्य उपकरण, जैसे HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम, मुहैया कराए हैं,

  • संयुक्त राष्ट्र में भारत के विरोध में खड़ा रहा है।

अब जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन निर्मित एयर डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय किया, तो यह सीधा प्रहार चीन की सैन्य प्रतिष्ठा पर है।

भारत ने यह जता दिया कि चाहे प्रत्यक्ष हो या परोक्ष, कोई भी ताकत भारत की संप्रभुता को चुनौती नहीं दे सकती।

 बांग्लादेश, श्रीलंका सहित पड़ोसी देशों के लिए इशारा

भारत के इस सैन्य ऑपरेशन का एक महत्वपूर्ण संदेश दक्षिण एशिया के अन्य पड़ोसियों को भी है। हाल के दिनों में:

  • बांग्लादेश ने पाकिस्तान से नए सिरे से संबंध स्थापित करने के संकेत दिए,

  • कुछ अन्य देश चीन की कर्ज नीति के जाल में फंसे हैं।

ऑपरेशन सिंदूर दिखाता है कि भारत सिर्फ प्रतिक्रिया देने वाला देश नहीं, बल्कि क्षेत्रीय संतुलन का नेतृत्वकर्ता है। और यह संकेत भी कि कोई भी देश अगर गलत धुरी की ओर झुकेगा, तो भारत चुप नहीं बैठेगा।

 दुनिया को दिखाया भारत की सैन्य जिम्मेदारी

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान के भीतर 100 किलोमीटर अंदर तक लक्ष्य साधा, लेकिन सिर्फ आतंकियों के ठिकानों को ही निशाना बनाया। भारत ने:

  • मस्जिदों, नागरिक इलाकों को निशाना नहीं बनाया,

  • प्रेस ब्रीफिंग में बार-बार कहा कि भारत ने एस्केलेशन नहीं किया, केवल जवाब दिया है

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा:

“भारत ने अपनी संप्रभुता की रक्षा की है, लेकिन हम किसी भी परिस्थिति को युद्ध में नहीं बदलना चाहते।”

यह भारत की रणनीतिक परिपक्वता और अंतरराष्ट्रीय उत्तरदायित्व का संकेत है।

 भारत का अपने भीतर भी एक संदेश

भारत में अब यह सोच बनने लगी है कि:

  • पाकिस्तान के प्रति अब कोई सॉफ्ट कॉर्नर नहीं रखा जा सकता,

  • पाकिस्तानी ‘डीप स्टेट’ अब भारत के लिए हमास या तालिबान से कम नहीं है,

  • भारत को केवल रक्षात्मक रणनीति नहीं, बल्कि आक्रामक संतुलन नीति अपनानी होगी।

अब सरकार, सेना और आम नागरिकों — तीनों को मिलकर लंबी लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा।

 सामरिक और तकनीकी असर

ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने:

  • सैटेलाइट-गाइडेड ड्रोन,

  • ई-वॉरफेयर टूल्स,

  • साइबर ऑपरेशन,

  • और मनोवैज्ञानिक युद्ध रणनीतियों का इस्तेमाल किया है।

यह स्पष्ट करता है कि भारत अब सिर्फ परंपरागत युद्ध नहीं लड़ रहा, बल्कि मल्टी-डोमेन युद्ध रणनीति अपनाकर आगे बढ़ रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर भारत की नई सैन्य और कूटनीतिक पहचान का प्रतीक है। यह भारत का संदेश है कि:

  • हम आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

  • हम अपने दुश्मनों को उनकी भाषा में जवाब देना जानते हैं।

  • और हम दुनिया को यह दिखाने में सक्षम हैं कि भारत केवल एक उभरती हुई ताकत नहीं, बल्कि एक निर्णायक वैश्विक शक्ति है।


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