भारत सरकार के द्वारा बिहार में तैनात सीआरपीएफ की दो बटालियन को वापिस लेने के निर्णय से बिहार में नक्सल विरोधी अभियान के कमजोर पड़ने की आशंका प्रबल हो गई है। केन्द्र की इस आदेश के बाद बिहार सरकार सकते में है। बिहार सरकार ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर सीआरपीएफ के बटालियन को नहीं हटाने का अनुरोध किया है। इससे पहले केन्द्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में प्रतिनियुक्ति के लिए विभिन्न राज्यों में तैनात सीआरपीएफ की सात बटालियन को वापस बुलाने का आदेश दिया है। इनमें बिहार से दो, झारखंड व उत्तर प्रदेश से एक-एक और पश्चिम बंगाल में तैनात तीन बटालियन शामिल हैं।
बतातें चलें कि इस वक्त बिहार में नक्सल विरोधी अभियान के लिए सीआरपीएफ की पांच बटालियन और एसएसबी की तीन बटालियन तैनात हैं। इसके अतिरिक्त कोबारा की दो बटालियन भी इस नक्सल विरोधी अभियान के लिए बिहार में तैनात है। सूत्र बतातें हैं कि इस वक्त छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सरकार ने बड़ा अभियान शुरू कर दिया है। लिहाजा, दूसरे राज्यों में प्रतिनियुक्त अर्द्धसैनिक बलों की कई बटालियन को वापिस करके उसे छत्तीसगढ़ में तैनात किया जाना है। इसी कड़ी में केन्द्र सरकार ने झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में तैनात सीआरपीएफ को वहां से हटाकर छत्तीसगढ़ भेजना चाहती है।
बिहार सरकार ने पत्र लिख कर गृह मंत्रालय को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। बतातें चलें कि इस वक्त सीआरपीएफ की कंपनियां बिहार के अति उग्रवाद प्रभावित जिले गया, औरंगाबाद, जमुई और लखीसराय के साथ उग्रवाद प्रभावित रोहतास, कैमूर, मुंगेर और बांका में तैनात हैं। बिहार सरकार का मानना है कि यदि इन्हें वहां से हटाया जाता है तो नक्सल गतिविधियां बढ़ सकती हैं।
This post was published on सितम्बर 3, 2018 21:32
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