KKN गुरुग्राम डेस्क | देश में जाति आधारित जनगणना को लेकर सियासत गरमा गई है। इसी मुद्दे पर भाजपा सांसद और लोकप्रिय नेता मनोज तिवारी ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि अगर जाति जनगणना होती है, तो राहुल गांधी को भी अपनी जाति बतानी पड़ेगी। साथ ही उन्होंने राहुल गांधी को सनातन और हिंदू विरोधी मानसिकता का नेता करार दिया।
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दिल्ली के बुराड़ी क्षेत्र में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान मनोज तिवारी ने कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी राजनीतिक स्वार्थ के लिए जातिगत मुद्दों को उठा रहे हैं, लेकिन खुद अपनी जाति और विचारधारा को लेकर पारदर्शी नहीं हैं।
“राहुल गांधी को भी बतानी होगी अपनी जाति” – मनोज तिवारी
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा:
“जातीय जनगणना कराइए, लेकिन राहुल गांधी को भी अपनी जाति बतानी पड़ेगी। फिर सब साफ हो जाएगा। देश और दुनिया जान जाएगी कि वे किस जाति से हैं।”
तिवारी ने कहा कि कांग्रेस केवल वोट बैंक की राजनीति के लिए जातीय मुद्दों को उठाती है, लेकिन जब सत्ता में होती है, तब ऐसे मुद्दों को भूल जाती है। उन्होंने राहुल गांधी पर हिंदू विरोधी बयानबाजी का आरोप भी लगाया।
“राहुल गांधी सनातन और हिंदू विरोधी हैं”
मनोज तिवारी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि राहुल गांधी केवल राजनीतिक ड्रामा करते हैं और उन्हें सनातन धर्म में आस्था नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी बार-बार हिंदू धर्म और उसके प्रतीकों का अपमान करते हैं।
“राहुल गांधी को हिंदू धर्म से चिढ़ है। वह सनातन धर्म को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। उनकी सोच सनातन विरोधी है,” – मनोज तिवारी
अमेरिका में श्रीराम को काल्पनिक बताने पर मचा बवाल
मनोज तिवारी ने राहुल गांधी के उस पुराने बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी में भगवान श्रीराम को काल्पनिक पात्र बताया था। इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए तिवारी ने कहा:
“राहुल गांधी की हिंदू विरोधी सोच उन्हें मुबारक। हम तो घर-घर रामचरितमानस पहुंचाएंगे और लोगों को राम और शिव की महिमा से जोड़ेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि हम राम और शिव के आदर्शों को घर-घर पहुंचाने का संकल्प ले चुके हैं।
बुराड़ी में शिव महापुराण कथा, जनता को आमंत्रण
मनोज तिवारी ने बताया कि बुराड़ी में मानव सेवा शिक्षा संस्थान की ओर से हस्तिनापुर शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में लोगों को सनातन धर्म की शिक्षाएं और संस्कृति से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
“हम लोगों से अपील कर रहे हैं कि 21 मई से 27 मई तक बुराड़ी आएं और शिव महापुराण कथा में भाग लें। ये कार्यक्रम आस्था, संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक होगा।”
जाति जनगणना पर केंद्र सरकार का निर्णय
हाल ही में केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना कराने का निर्णय लिया है, जिसे लेकर देशभर में मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। जहां आम जनता और सामाजिक संगठनों ने इसका स्वागत किया है, वहीं विपक्षी दलों ने इसका राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश शुरू कर दी है।
विपक्ष का दावा:
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कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य क्षेत्रीय दलों ने कहा कि यह उनकी राजनीतिक जीत है।
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उन्होंने दावा किया कि इंडिया गठबंधन के दबाव में आकर केंद्र सरकार को यह फैसला लेना पड़ा।
भाजपा की प्रतिक्रिया:
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भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में कभी जातीय जनगणना की बात नहीं की।
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जब विपक्ष में होते हैं, तब जाति आधारित न्याय की बात करते हैं, लेकिन सत्ता में आने पर भूल जाते हैं।
जातीय जनगणना: सामाजिक न्याय या वोट बैंक?
जातीय जनगणना को लेकर दो धड़े बनते नजर आ रहे हैं:
समर्थन में तर्क:
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पिछड़ी और दलित जातियों को सटीक प्रतिनिधित्व मिलेगा
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सरकारी योजनाओं का सही लक्ष्य निर्धारण होगा
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आरक्षण नीति को मजबूत आधार मिलेगा
विरोध में तर्क:
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जातिगत ध्रुवीकरण और सामाजिक तनाव बढ़ सकता है
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राजनीति में जाति आधारित ध्रुवीकरण को बढ़ावा मिलेगा
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राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता को चोट पहुंचेगी
राहुल गांधी की चुप्पी और भाजपा की रणनीति
राहुल गांधी की ओर से अब तक मनोज तिवारी के इस बयान पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन भाजपा इस मुद्दे को लेकर उन्हें राजनीतिक और वैचारिक रूप से घेरने में जुटी है।
भाजपा नेताओं का कहना है कि अगर राहुल गांधी सच में सामाजिक न्याय और पारदर्शिता के पक्षधर हैं, तो उन्हें अपनी जाति सार्वजनिक करनी चाहिए।
भारत में धर्म, जाति और राजनीति का मेल नया नहीं है, लेकिन जातीय जनगणना और हिंदू धार्मिक आस्थाओं को जोड़कर भाजपा ने कांग्रेस को एक नई चुनौती दी है। मनोज तिवारी के बयानों से साफ है कि भाजपा जाति जनगणना के मुद्दे को भी राष्ट्रीयता और धर्म से जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है।
अब देखना यह होगा कि राहुल गांधी इस चुनौती का जवाब कैसे देते हैं और क्या विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को जनता के बीच सकारात्मक विमर्श में बदल पाती हैं या नहीं।
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