पटना। आर्थिक सर्वेक्षण से पता चला है कि बिहार ने विकास दर में लंबी छलांग लगाई है। रिपोर्ट की माने तो वित्तीय वर्ष 2015-16 में राज्य की आर्थिक विकास दर 7.5 फीसदी थी। वित्तीय वर्ष 2016-17 में वृद्धि दर 10.3 फीसदी हो गई है। जबकि, इसी अवधि में देश का विकास दर सात फीसदी रही। देश की तुलना में राज्य की विकास दर तीन फीसदी अधिक है। बिहार सड़क, कृषि, ऊर्जा, डेयरी, सब्जी उत्पादन आदि के क्षेत्र में भी तरक्की कर रहा है।
बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश किए जा रहे आर्थिक सर्वेक्षण के हवाले से उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने वित्तीय वर्ष 2017-18 की रिपोर्ट पेश की। गौर करने वाली बात ये है कि राज्य की विकास दर 10.3 फीसदी है, जबकि पूरे देश की विकास दर मात्र 7 फीसदी दर्ज की गयी है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था के विकास का वाहक खनन, विनिर्माण, परिवहन, संचार व भंडारण बना हुआ है। प्रति व्यक्ति आय में सालाना 8.63 फीसदी की वृद्धि हुई है। वर्ष 2015-16 में बिहार में प्रति व्यक्ति आय 24 हजार 572 रुपये थी, जो बढ़ कर 2016-17 में 26 हजार 693 रुपये हो गई।
राज्य में विकास पर होने वाले खर्च में पिछले पांच सालों में 79 फीसदी की वृद्धि हुई है। वर्ष 2012-13 में विकास पर 35 हजार 817 करोड़ खर्च हुए थे, जो बढ़कर 2016-17 में 64 हजार 154 करोड़ पहुंच गया। गैर विकास कार्यों पर खर्च 23 हजार 803 करोड़ से बढ़कर 34 हजार 935 करोड़ हो गया है। यानी इसमें 47 फीसदी की वृद्धि हुई है। वर्ष 2016-17 में पूंजीगत परिव्यय, कैपिटल एक्सपेंडीचर 27 हजार 208 करोड़ था। इस राशि में से 79 फीसदी यानी 21 हजार 526 करोड़ आर्थिक, 25 फीसदी यानी 5326 करोड़ सड़क, पुल व परिवहन, 27 फीसदी यानी 5739 करोड़ बिजली, आठ फीसदी सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण मद में खर्च किए गए। सामाजिक सेवाओं पर आठ फीसदी यानी 3592 करोड़ खर्च हुआ।
144 लाख टन सब्जी उत्पादित कर बिहार नंबर वन बन गया है। इसी प्रकार 13 लाख टन बढ़कर 38.6 लाख टन मक्का का उत्पादन हुआ और 12 लाख टन से बढ़कर 60 लाख टन गेहूं का उत्पादन दर्ज किया गया है। बिहार में 100 वर्ग किमी पर 218 किमी सड़क निर्माण के साथ यह देश के तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।
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