KKN गुरुग्राम डेस्क | वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 (Waqf Amendment Act 2025) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 5 मई को सुनवाई होनी थी, लेकिन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि इस गंभीर मुद्दे पर कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से पहले लंबी सुनवाई आवश्यक है।
Article Contents
अब इस मामले की सुनवाई 15 मई 2025 को होगी, जिसकी अध्यक्षता नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई करेंगे, जो 14 मई को पदभार ग्रहण करेंगे। यह मामला अब भारत के संवैधानिक ढांचे और धार्मिक संपत्ति के अधिकार से जुड़ा एक प्रमुख कानूनी संघर्ष बन चुका है।
मामले की पृष्ठभूमि: वक्फ संशोधन अधिनियम क्यों है विवादित?
कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताया है। याचिकाओं में कहा गया है कि यह अधिनियम निजी संपत्तियों और सरकारी जमीनों पर वक्फ बोर्ड द्वारा दावा करने का रास्ता खोलता है।
17 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
-
वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई करने पर रोक
-
सेंट्रल वक्फ काउंसिल और राज्य वक्फ बोर्ड में नई नियुक्तियों पर रोक
-
केंद्र सरकार को हलफनामा दाखिल करने का आदेश
-
याचिकाकर्ताओं को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय दिया गया
सरकार का पक्ष: 1332 पन्नों का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ओर से केंद्र सरकार ने एक विस्तृत 1332 पृष्ठों का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है, जिसमें वक्फ अधिनियम और इसके संशोधनों का बचाव किया गया है।
सरकार के प्रमुख तर्क:
-
‘वक्फ बाई यूज़र’ (Waqf by user) की परंपरा 1923 से लागू है और पूरी तरह कानूनी है।
-
वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य है, जिससे स्वामित्व विवादों को रोका जा सके।
-
2025 का संशोधन धार्मिक प्रथाओं को प्रभावित नहीं करता, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाता है।
-
2013 के संशोधन के बाद वक्फ संपत्ति में 20 लाख एकड़ की वृद्धि हुई है, जो दर्शाता है कि कानून आवश्यक है।
-
सरकार ने आरोप लगाया कि कुछ मामलों में वक्फ कानूनों का दुरुपयोग कर प्राइवेट और सरकारी जमीन पर कब्जा किया गया है।
सरकार ने याचिकाओं को “कानूनी आधारहीन” बताते हुए रद्द करने की मांग की है।
चौंकाने वाला आंकड़ा: 116% की वृद्धि वक्फ भूमि में
सरकार के हलफनामे में यह दावा किया गया है कि 2013 के बाद वक्फ के अंतर्गत दर्ज भूमि में 116% की वृद्धि हुई है। इससे आशंका जताई गई कि वक्फ के नाम पर सरकारी व निजी संपत्ति के अवैध दावे भी हुए हो सकते हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का जवाब
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने भी एक जवाबी हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें सरकार के दावों को “गुमराह करने वाला” बताया गया है।
AIMPLB के मुख्य तर्क:
-
सरकार सुप्रीम कोर्ट को भ्रामक आंकड़े दे रही है।
-
यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर सीधा हमला है।
-
वक्फ बाय यूज़र एक ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से स्थापित परंपरा है।
-
कानून को केवल लैंड रिकॉर्ड के दृष्टिकोण से देखना अल्पसंख्यक अधिकारों के साथ अन्याय होगा।
अब आगे क्या होगा?
-
13 मई 2025 को सीजेआई संजीव खन्ना रिटायर होंगे।
-
14 मई 2025 को जस्टिस बी.आर. गवई भारत के नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे।
-
15 मई 2025 को इस मामले की अगली सुनवाई निर्धारित है।
वक्फ बाय यूज़र क्या है?
‘वक्फ बाय यूज़र’ उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें कोई संपत्ति भले ही कानूनी रूप से वक्फ घोषित न हो, लेकिन अगर वह लंबे समय से धार्मिक या चैरिटेबल उद्देश्य से उपयोग हो रही हो, तो उसे वक्फ संपत्ति माना जा सकता है।
यह सिद्धांत अब विवाद का केंद्र बन गया है, क्योंकि आलोचकों का कहना है कि इसके जरिए बिना दस्तावेज के भूमि पर दावा करना आसान हो जाता है।
सार्वजनिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
-
DMK, AIMIM और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने वक्फ संशोधन अधिनियम पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।
-
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला मात्र संपत्ति का नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक संतुलन का है।
-
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर जबरदस्त बहस चल रही है, जिसमें लोग कानून के पक्ष और विपक्ष में अपनी राय रख रहे हैं।
वक्फ अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई केवल एक कानूनी विवाद नहीं, बल्कि एक संवेदनशील सामाजिक और धार्मिक मुद्दा है। एक तरफ सरकार प्रशासनिक पारदर्शिता और नियंत्रण की बात कर रही है, तो दूसरी ओर धार्मिक समुदाय इसे अपने अधिकारों का उल्लंघन मान रहा है।
अब जब अगली सुनवाई 15 मई को होनी है, और नए CJI के तहत, इस मामले में हो सकता है ऐतिहासिक फैसला आए, जो भविष्य में धार्मिक संपत्ति के अधिकारों को लेकर एक मिसाल कायम करेगा।
KKNLive इस मुद्दे पर नजर बनाए हुए है और अगली सुनवाई की ताज़ा अपडेट और विश्लेषण के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.