मीनापुर। जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर अंजनी कुमार सिंह के नेतृत्व में जल संसाधन व विशेष भूअर्जन विभाग की चार सदस्सीय टीम बुधवार को मीनापुर के चांदपरना गांव पहुंच किसानों की फरियाद सुनी। साथ ही तीन महीने के अंदर जमीन मालिकों को मुआवजे के भुगतान का आश्वासन दिया।
जानकारी हो कि यहां के 95 किसान पिछले 35 वर्षो से बांध निर्माण के लिए अधिगृहीत जमीन के मुआवजा के लिए कार्यालय का चक्कर काट रहें हैं। गांव के दौरे पर पहुंचे चीफ इंजीनियर ने किसानों के मुआवजा भुगतान के लिए भूधारियों के समक्ष ही चार सदस्सीय कमेटी का गठन कर दिया। कमिटी का नेतृत्व जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता करेंगे व इस कमेटी में अधीक्षण अभियंता, विशेष भूअर्जन पदाधिकारी व कार्यपालक अभियंता को शामिल किया गया है। बाद में चीफ इंजीनियर ने किसान अनिल कुमार, उमेश प्रसाद व चुल्हाई राम समेत सभी भूधारियों को तीन महीने में मुआवजे के भुगतान का आश्वासन दिया।
इस बीच विशेष भूअर्जन पदाधिकारी विकास कुमार ने दो दिन के अंदर अधीगृहीत की गई जमीन का नये सिरे से मापी कराने का आदेश दिया है। जांच टीम में जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता नलनी रंजन और कार्यपालक अभियंता राजीव रंजन शामिल थे। किसानों ने अधिकारी को बताया कि जिस जमीन पर बांध का निर्माण हुआ है, वहां उन लोगों का पहले से घर था। इस लिए उन्हें अधिक मुआवजा दिया जाए।
वर्तमान दर से जमीन का नौ करोड़ होगा मुआवजा: किसान
विदित हो कि चांदपरना के 95 किसानों का 9.49 एकड़ जमीन पर वर्ष 1982 में जलपथ प्रमंडल के द्वारा रिंग बांध का निर्माण कर दिया गया। लेकिन जमीन मालिकों को मुआवजा नहीं मिला। किसान अनिल कुमार ने बताया कि वर्तमान दर व भूमि अधिग्रहण कानून के हिसाब से करीब नौ करोड़ रुपये किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए।
This post was published on फ़रवरी 8, 2018 07:07
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