संतोष कुमार गुप्ता
यह खबर उन लोगो के लिए प्रेरणा है जो सरकारी या निजी स्कूल मे टीचर है। उनका शिक्षा से बेहद लगाव है। सरकारी स्कूलो की बदहाली की खबरे लगातार आ रही है। कहीं पर डेंस्क, बेंच, किताब का अभाव है। कही पर क्लासरूम नही है। कई स्कूलो मे शौचालय व चापाकल तक नही है। अधिकांश विधालयो के विकास कोष मे राशि उपलब्ध होने के बाद भी वहां बदहाली का आलम रहता है। वहां के पैसे खर्च करने के अभाव मे सरेंडर कर जाते है। किंतु हमे अन्नपूर्णा मोहन से प्रेरणा लेने की जरूरत है। आपने छोटे शहरों और गांवों के सरकारी स्कूलों में जरुरी सुविधाओं के अभाव, बच्चों के लिए मूलभूत सुविधाओं की कमी कई बार सुना होगा। क्लासरूम के रखरखाव और बच्चों को मिलने वाली सुविधाएं सरकारी फेर में फंस जाती है। इस तरह से कक्षाओं का बुरा हाल बना रहता है। इसमें सुधार के लिए प्रयास भी किए जाते हैं, लेकिन वह या तो धरातल पर पहुंच नहीं पाते या फिर पहुंचने के बाद उन्हें पूरा नहीं किया जा पाता है। इन्हीं सब चीजों को ध्यान में रखकर तमिलनाडु की एक महिला टीचर ने अपनी ज्वैलरी बेचकर क्लास को बच्चों के पढ़ने के लायक बनाया। क्लास थर्ड के बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने वालीं अन्नापूर्णा मोहन का मानना है कि क्या सिर्फ शहरी स्टूडेंट्स को ही सभी हाई टेक सुविधाएं मिलनी चाहिए? उन्होंने बच्चों के लिए बनाए अपने क्लास को एकदम इंटरनेशनल लुक दिया है। क्लास में स्मार्ट बोर्ड, अंग्रेजी किताबें, आरामदायक फर्नीचर मौजूद है।
अन्नापूर्णा ने न्यूज मिनट वेबसाइट से बातचीत में कहा कि सिर्फ उच्च सुविधाओं को ही ध्यान में नहीं रखा गया बल्कि हमने बच्चों के अंग्रेजी बोलने की व्यवस्था की है ताकि पंचायत का स्कूल न होने के चलते किसी चीज की कमी हो। मैंने अंग्रेजी पढ़ने के लिए क्लास में अच्छा वातावरण तैयार करने की कोशिश की है। मैं बच्चों से शुरू से लेकर क्लास खत्म होने तक अंग्रेजी में बोलती हूं। पहले इनमें से कुछ बच्चे मेरी बातों को नहीं समझ पाते थे लेकिन समय के साथ बच्चे मेरे बातों पर प्रतिक्रिया देने लगे।
उन्होंने इसको लेकर फेसबुक पर कुछ वीडियो भी पोस्ट किए हैं। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि वह बच्चों को किस तरह से पढ़ाती हैं। एक वीडियो में तीसरी क्लास में पढ़ने वाली एक स्टूडेंट ने एक शब्द के उच्चारण को किस तरह से बोला जा सकता है, इसे शेयर किया है। इसके अलावा एक अन्य वीडियो में बच्चों को क्लास रूम में लगे बोर्ड के पास खड़े हुए और शब्दों को पढ़ते और समझते हुए दिखाया गया है। महिला द्वारा किए गए इस प्रयास को लोग द्वारा सराहा जा रहा है। सरकारी स्कूलों में अध्यापन के तरीके को बदलने की आशा के साथ अन्नापूर्णा ने इस प्रयास की शुरुआत की।
This post was published on अप्रैल 22, 2017 18:22
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