KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के मुजफ्फरपुर जिला अन्तर्गत मीनापुर के किसान अनिल कुमार बतातें हैं कि 38 साल से मुआवजा के लिए गुहार लगा-लगा के थक चुकें है। अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री के जनता दरबार में गुहार लगाने का भी कोई परिणाम नहीं आया। ऐसे में मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी के द्वारा मंगलवार को संज्ञान लेने के बाद किसानो में उम्मीद जगी है। यह मामला बूढ़ी गंडक नदी के किनारे बसे मीनापुर थाना से सटे चांदपरना गांव के किसानो का है।
दरअसल, बूढ़ी गंडक नदी पर रिटायर्ड बांध के निर्माण के लिए वर्ष 1982 में जलपथ प्रमंडल ने 105 किसानो से 9 एकड़ 59 डिसमिल जमीन का अधिग्रहण किया था। बांध का निर्माण तो पूरा हो गया। किंतु, 38 वर्षो के बाद, आज भी किसानो को उसके जमीन का मुआवजा नहीं मिला और मुआवजा के लिए किसान आज भी विभाग का चक्कर काट रहें हैं। हद तो ये कि किसानो के आवेदन पर लोक शिकायत प्राधिकार पहले ही किसानो के पक्ष में फैसला दे चुकी है। इसके बाद भी जब अधिकारी की निद्रा नहीं खुली तो यहां के किसान बिहार के मुख्यमंत्री के जनता दरबार में पहुंच गये। मुख्यमंत्री के आदेश को भी अधिकारी ने गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद यहा के किसानो ने जग्न्नाथ प्रसाद के नेतृत्व में वर्ष 2019 के दिसम्बर महीने में जल संसाधन विभाग के मुजफ्फरपुर स्थित कार्यालय पर धरना दिया। अधिकारी ने छह महीने के भीतर मुआवजा भुगतान करने का आश्वासन तो दिया। किंतु, अप्रैल का महीना बीतने को है और मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया अभी तक शुरू नही हुई है। इससे किसानो में फिर से आक्रोश पनपने लगा है। नतीजा, यहां के किसानो ने बांध की मरम्मत करने आये बाढ़ नियंत्रण कार्यालय के ठेकेदार और अधिकारी को, मुआवजा भुगतान होने तक काम करने से रोक दिया है।
This post was published on अप्रैल 22, 2020 17:52
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