मुआवजा के लिए 35 वर्षो से टकटकी लगाये हैं मीनापुर के किसान

भू-अर्जन व जलपथ प्रमंडल विभाग की आपसी खींचतान के बीच पीस रहे हैं किसान

मुजफ्फरपुर। मीनापुर प्रखंड के चांदपरना गांव के 95 किसान को 35 साल से जमीन के मुआवजे का इंतजार है। वे इसके लिए लगातार जिला विशेष भू-अर्जन व जलपथ प्रमंडल कार्यालय का चक्कर लगा रहे है। दोनों विभागों के बीच आपसी तालमेल के अभाव का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। इस समस्या को लेकर अनिल कुमार के नेतृत्व में किसान डीएम धर्मेंद्र सिंह से मुलाकात कर न्याय की गुहार लगाई। दूसरी ओर डीएम धर्मेन्द्र सिंह ने ग्रामीणों की शिकायत पर विशेष भू-अर्जन पदाधिकारी से रिपोर्ट की मांगी है। डीएम ने बताया कि रिपोर्ट की समीक्षा के बाद तुरंत निर्णय लिया जाएगा।

ये है मामला
मामला बूढ़ी गंडक किनारे बसे चांदपरना गांव में बनाए गये रिटायर्ट बांध से जुड़ा है। बतातें चलें कि वर्ष 1982 में जलपथ प्रमंडल के द्वारा गांव में रिटायर्ट बांध का निर्माण कराया गया था। इसके लिए विभाग ने गांव के 95 किसानों से 9.59 एकड़ जमीन अधीग्रहित किया था। लेकिन, 35 वर्ष बीत जाने के बाद भी इन किसानों को मुआवजा नहीं मिला है। इस बीच वे मुआवजे की मांग को लेकर लोक शिकायत निवारण से लेकर मुख्यमंत्री तक से गुहार लगा कर थक चुके हैं।
आदेश पर अमल नहीं
विभागीय अधिकारी के यहां दौड़ लगा कर थक चुके किसानों ने जिला लोक शिकायत निवारण में चार वर्ष पहले मामला दर्ज कराया था। लोक शिकायत पदाधिकारी ने 18 नवम्बर 2016 को किसानों के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए शीघ्र ही मुआवजा देने का आदेश दिया। बावजूद इसके आज तक कोई भी सक्षम अधिकारी किसानों की सुधि लेने नहीं आया। इससे किसानो में आक्रोश पनपने लगा है।
मुख्यमंत्री का आदेश भी नहीं माने अधिकारी
स्मरण रहें कि इससे सात वर्ष पहले चांदपरना के पीड़ित किसान बिहार के मुख्यमंत्री के जनता दरबार में पहुंच कर भी फरियाद कर चुके हैं। उनकी शिकायत के आलोक में मुख्यमंत्री ने जलपथ विभाग को तत्काल हस्तक्षेप करके किसानों को बकाए मुआवजे राशि का शीघ्र भुगतान करने का आदेश भी दिया। बतातें चलें कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद जमीन की मापी की गई। लेकिन, आज तक मुआवजा नहीं मिला। नतीजा, अब किसान आरपार की लड़ाई लड़ने का मन बना चुकें हैं।


Discover more from

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply