मुजफ्फरपुर। मीनापुर के चांदपरना गांव के 95 किसानों को 35 वर्षों के बाद न्याय मिलने की आश जगी है। जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता राजीव रंजन के नेतृत्व में विभाग की टीम चांदपरना पहुंची। रिंग बांध का मुआयना किया और किसानों से उनकी समस्या सुनी। साढ़े तीन दशक बाद ही सही अधिकारी की नींद खुली और गांव पहुंचे तो किसानों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। इससे किसान उत्साहित है।
साढ़े नौ एकड़ भूमि अधिग्रहण का है मामला
मामला बूढ़ी गंडक नदी पर चांदपरना गांव में बनाए गए रिटायर बांध से जुड़ा है। बतातें चलें कि वर्ष 1982 में जलपथ प्रमंडल के द्वारा गांव में रिटायर बांध का निर्माण किया गया। इसके लिए विभाग ने गांव के 95 किसानों ने 9.59 एकड़ जमीन अधिग्रृहीत किया था। लेकिन 35 वर्ष बाद भी इसका मुआवजा किसानों को नहीं मिला। इससे किसानों में नाराजगी है।
सात फरवरी को लेगेगा गांव में कैंप
अधिकारियों ने ग्रामीणों को बताया कि सत फरवरी को विभाग की ओर से गांव में कैंप लगा कर लोगों की समस्यओं का समाधान किया जाएगा। अधिकारी के मुताबिक इस शिविर में जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर व विशेष भूअर्जन पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इससे पहले रविवार को जदयू के जिला अध्यक्ष हरिओम कुशवाहा ने मुस्तफागंज पहुंच कर पीड़ित किसानों की सुध ली और जिलाधिकारी को मामले से अवगत कराते हुए किसानो को तत्काल बकाया मुआवजा का भुगतान करने की मांग की थी।
सीएम व लोक शिकायत के आदेश को भी किया अनसुना
इससे पहले लोक शिकायत पदाधिकारी ने 18 नवम्बर 2016 को किसानों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए शीघ्र ही मुआवजा देने का आदेश दिया हुआ है। इससे भी पहले चांदपरना के किसान अनिल कुमार व उमेश प्रसाद के नेतृत्व में यहां के किसानों ने सात वर्ष पहले बिहार के मुख्यमंत्री के जनता दरबार में पहुंच कर भी फरियाद की थी। किसानों से मिली शिकायत के आलोक में मुख्यमंत्री ने जल पथ विभाग को तत्काल हस्तक्षेप करके किसानों को बकाया मुआवजा राशि का शीघ्र भुगतान करने का आदेश भी दिया था। हालांकि, मुख्यमंत्री के आदेश पर जमीन की मापी तो हुई, लेकिन आज तक किसानों को मुआवजा नहीं मिल सका।
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