उल्कापिंडों की बारिश को उत्तरी गोलार्द्ध से देख सकते हैं
सोशल मीडिया पर बताया जा रहा है कि 12 अगस्त को रात नहीं होगी और रात में भी दिन की तरह उजाला रहेगा। दावा ये कि 96 साल में पहली बार ऐसा हो रहा है। दूसरी ओर नासा के वैज्ञानिक की मानें तो यह चमत्कार नहीं बल्कि एक आकाशीय घटना है।
आपको बता दें कि आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर तेजी से जाते हुए कुछ पिंड पृथ्वी पर आकर गिरते हैं। इन्हें उल्का कहते हैं। इन्हें ‘टूटते हुए तारे’ और ‘लूका’ भी कहा जाता है। वायुमंडल में आने के बाद ये जलने लगते हैं और इनमें से उजाला होता है। कहते हैं उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तकआता है उसे उल्कापिंड कहते हैं। स्पेस में कई उल्काएं देखी जा सकती हैं, लेकिन पृथ्वी पर गिरने वाले पिंडों की संख्या बहुत कम होती है।
दरअसल ऐसी आकाशीय घटनाएं 2000 साल से देखी जा रही हैं। इस साल 12 अगस्त शनिवार को रात में उल्का पिंडों की बारिश होगी। इससे कुछ रौशनी भी होगी। किंतु, इतना भी नही कि रात में दिन हो जाये। ऐसा कहा जा रहा है कि उल्कापात 17 जुलाई को आधिकारिक तौर पर शुरू हुआ था और 27 अगस्त तक चलेगा। इस साल 12 अगस्त की रात 1 बजे उल्का पिंडों की बारिश अपने चरम पर होगा। इस समय करीब एक घंटे में 150-200 शूटिंग स्टार प्रति घंटा देख सकते हैं। हालांकि, इन उल्कापिंडों की बारिश को उत्तरी गोलार्द्ध से देख सकते हैं। ये घटना दुनिया भर में हर जगह नहीं, बल्कि कुछ ही जगह दिखेगी।