नाइट विजन डिवाइस दरअसल वह यंत्र है जो रात के वक्त में बिना किसी रोशनी के देखने में मददगार होता है। सर्व प्रथम दूसरे वर्ल्ड वॉर और वियतनाम वॉर के वक्त नाइट विजन डिवाइस का इस्तेमाल गया था और इसकी उपयोगिता को देखते हुए समय के साथ इसकी टेक्नॉलोजी में काफी बदलाव भी आया है। आज इसका इस्तेमाल ना सिर्फ युद्ध के वक्त खास परिस्थिति में होता है बल्कि एन्फोर्समेंट एजेंसियों की तरफ से भी इस डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है।
बतातें चलें कि नाइट विजन डिवाइस को नाइट ऑप्टिकल या ऑब्जर्वेशन डिवाइस और नाइट विजन गूगल्स के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऑप्टो-इलैक्ट्रोनिक डिवाइस है जो बिल्कुल अंधेरे में सामने वाले की तस्वीर को उभार देता है। नाइट विजन डिवाइस इस्तेमाल में आने के बाद इसमें पीढ़ीगत कई तरह का बदलाव आया है। लिहाजा, इसका परफॉर्मेंस पहले से ज्यादा बेहतर हुई है। जबकि कीमत कम हुई है और आज ये कई रूपों में बंदूक से लेकर ड्राईवर और विमान चालकों के लिए मौजूद है।
इस तकनीक में सजीव के शरीर से उत्सर्जित होने वाली गर्मी को एक उपकरण से कैप्चर किया जाता है। इस विधी में वस्तु से आने वाले थोड़ी बहुत प्रकाश किरणों को, जिसे हमारी आँखे देख नही सकती है, एकत्र करके सम्वर्धित करते है। जिससे हमे वस्तु दिखाई देने लगती है।