KKN गुरुग्राम डेस्क | सोमवार को मेहुल चोकसी,गीतांजली जेम्स के प्रबंध निदेशक, को बेल्जियम में भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी पंजाब नेशनल बैंक (PNB) द्वारा 2018 में उजागर किए गए बड़े धोखाधड़ी मामले से जुड़ी हुई है। इस धोखाधड़ी में चोकसी और उसके भतीजे निरव मोदी का नाम सामने आया था, और यह मामला भारत के बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र को हिलाकर रख देने वाला था। अनुमानित ₹13,500 करोड़ की इस धोखाधड़ी की जांच अब तक जारी है, और चोकसी की गिरफ्तारी इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।
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PNB धोखाधड़ी क्या थी?
PNB लोन धोखाधड़ी का विवरण
यह धोखाधड़ी मुख्य रूप से लोन की सुरक्षा के रूप में जारी किए गए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स (LoUs) के दुरुपयोग पर आधारित थी। LoUs बैंक द्वारा व्यापारिक उद्देश्यों के लिए विदेशों में लोन प्राप्त करने के लिए जारी किए जाते हैं। मेहुल चोकसी और निरव मोदी ने इन LoUs का दुरुपयोग कर भारत और विदेशों में लाखों डॉलर की धोखाधड़ी की। इन दोनों ने मिलकर बैंक के सिस्टम को छेड़छाड़ किया और गीतांजली जेम्स और निरव मोदी के समूह के माध्यम से बड़े पैमाने पर फंड्स निकालने में सफल रहे।
PNB ने जनवरी 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास इस धोखाधड़ी की पहली रिपोर्ट दर्ज कराई थी, और सीबीआई को इस मामले में शिकायत दी गई थी। इसके बाद फरवरी 2018 में कई अन्य जांचें शुरू हुईं, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ED) और सीबीआई ने मिलकर मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी की जांच की।
निरव मोदी और मेहुल चोकसी का किरदार
निरव मोदी और मेहुल चोकसी दोनों ही इस धोखाधड़ी के मुख्य आरोपी हैं। इन दोनों ने मिलकर बैंक अधिकारियों से मिलीभगत कर 1,212 LoUs जारी कराए, जो सामान्य रूप से एक निश्चित संख्या में जारी होते थे। इन LoUs के माध्यम से, मोदी और चोकसी ने ₹11,400 करोड़ (लगभग $1.77 बिलियन) से अधिक का कर्ज प्राप्त किया, जोकि अवैध रूप से कारोबार के लिए नहीं बल्कि व्यक्तिगत लाभ के लिए उपयोग किया गया।
धोखाधड़ी की प्रक्रिया
LoUs, जोकि आमतौर पर व्यापारिक उद्देश्यों के लिए जारी किए जाते हैं, इनका दुरुपयोग किया गया था। निरव मोदी और मेहुल चोकसी ने PNB के ब्रैडी हाउस शाखा से मार्च 2011 से 1,212 LoUs प्राप्त किए। इन LoUs के बदले विदेशों में भारतीय बैंकों से लोन लिया गया, और इन पैसों का उपयोग व्यापार के लिए नहीं, बल्कि निजी फायदे के लिए किया गया।
PNB के अंदरूनी लोग भी इस धोखाधड़ी में शामिल थे, जिनमें गोकुलनाथ शेट्टी जैसे बैंक अधिकारी थे जिन्होंने सिस्टम को धोखा दिया और अवैध तरीके से इन LoUs को जारी किया।
मेहुल चोकसी की भूमिका: जांच एजेंसियों का आरोप
प्रवर्तन निदेशालय (ED) और सीबीआई के अनुसार, मेहुल चोकसी ने अपनी कंपनियों के माध्यम से इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया। इन एजेंसियों ने आरोप लगाया कि चोकसी ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर बिना निर्धारित बैंकिंग प्रक्रियाओं के LoUs प्राप्त किए। इसके परिणामस्वरूप बैंक को भारी वित्तीय नुकसान हुआ, जबकि इस धोखाधड़ी में शामिल कंपनियों और व्यक्तियों को लाभ हुआ।
चोकसी का भारत से भागना और प्रत्यर्पण विवाद
इस धोखाधड़ी के सार्वजनिक होने से पहले ही मेहुल चोकसी भारत से फरार हो गया। वह एंटीगुआ और बारबुडा में जा बसा, जहां उसने एक विशेष निवेश कार्यक्रम के तहत नागरिकता प्राप्त की थी। भारत सरकार ने उसकी गिरफ्तारी के लिए कई प्रयास किए, लेकिन वह एंटीगुआ और बारबुडा में सुरक्षित रहा। इसके बाद, 2021 में एक नया मोड़ आया जब चोकसी एंटीगुआ से गायब हो गया और डोमिनिका में पाया गया। उसने दावा किया कि उसे अपहरण किया गया था, लेकिन यह मामला प्रत्यर्पण के प्रयासों को और जटिल बना गया।
प्रत्यर्पण की प्रक्रिया: कानूनी संघर्ष
भारत की सरकार ने मेहुल चोकसी का प्रत्यर्पण करने के लिए कई कानूनी प्रयास किए। चोकसी ने एंटीगुआ और बारबुडा में अपनी नागरिकता ली थी, और अब उसकी गिरफ्तारी के बाद यह मामला बेल्जियम तक पहुंच चुका है। यह कानूनी और राजनयिक संघर्ष एक जटिल प्रक्रिया बन चुका है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय कानून में प्रत्यर्पण के मामलों में कई कारक होते हैं।
PNB और भारतीय बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव
PNB धोखाधड़ी ने भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। इस धोखाधड़ी ने बैंकिंग सिस्टम की कमजोरियों को उजागर किया और यह स्पष्ट किया कि भारतीय बैंकों को अधिक पारदर्शिता और जिम्मेदारी की आवश्यकता है। इसके बाद, भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य वित्तीय नियामकों ने बैंकों के लिए कड़े नियम लागू किए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
इस धोखाधड़ी ने यह भी दिखाया कि बड़े वित्तीय अपराधों का असर केवल एक बैंक तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसका प्रभाव पूरे बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
मेहुल चोकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन उसका प्रत्यर्पण अब भी एक लंबा और जटिल प्रक्रिया हो सकती है। जबकि न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है, यह मामले का अंत नहीं है। भारतीय जांच एजेंसियां इस मामले को अंत तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और उम्मीद की जा रही है कि चोकसी को जल्द ही भारत में लाकर उसे न्याय का सामना कराया जाएगा।
PNB धोखाधड़ी का मामला भारतीय वित्तीय क्षेत्र के लिए एक चेतावनी है, और यह दर्शाता है कि बैंकिंग सिस्टम को और मजबूत और सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
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