मीनापुर। मुजफ्पुरपुर जिले के मीनापुर प्रखंड व अंचल कार्यालय पर बाढ़ राहत के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे बाढ़ पीड़ितो ने नकद मुआवजा की राशि की मांग को लेकर अंचल कार्यालय आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया है। भाकपा के बैनर तले आये लोगो के आक्रोश को देखते हुए
इससे पहले प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए भाकपा के पूर्व विधायक जनकधारी प्रसाद कुश्वाहा ने कहा कि बचे हुए 21,915 परिवार के खाते में जब तक मुआवजा की राशि नही जाती है, तब तक उनकी पार्टी चुप नही बैठेगी। श्री कुशवाहा ने कहा कि प्रशासन की विफलता के कारण पिछले दो वर्षो से वृद्धा पेंशन का भुगतान बकाया है। भूमिहीनो को 5 डिसमील जमीन देने का सरकारी दावा भी सरजमीं पर कही दिखाई नही पड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि प्रशासन इन सारी बातो पर शीघ्र ही ध्यान नही देगी तो मीनापुर के लोग एक बार फिर से जुब्बा सहनी व बागुंर सहनी की तरह बलिदान देने से पीछे नही हटेंगे।
रामएकवाली राय की अध्यक्षता में सभा को जिला मंत्री अजय सिंह, प्रो. लक्ष्मीकांत, शिवजी प्रसाद, महेश्वर सिंह, भरत झा, मो. युनूश अंसारी, महेश चौधरी, सुरेन्द्र पासवान, गणेश राय, रमेश अकेला, रामअयोध्या प्रसाद, नवल राय आदि ने संबोधित किया है। बतातें चलें कि आंदोलन को राजद के प्रखंड अध्यक्ष उमाशंकर सहनी, पूर्व प्रमुख राजगीर राम व मुखिया अजय कुमार ने भी अपना समर्थन दिया है।
अधिकारी को मंच से करना पड़ा घोषणा
प्रदर्शनकारियों के जबरदस्त आक्रोश के बीच बीडीओ संजय कुमार सिन्हा को मंच पर आना पड़ा। बीडीओ ने लोगो को बताया कि बाढ़ से 2,459 परिवार का घर गिरा है। इसकी सूची तैयार करके जिला प्रशासन को भेज दिया गया है। बीडीओ ने बताया कि 2,700 बकाया पेंशनधारी को छठ पर्व तक पेंशन का भुगतान कर दिया जायगा।
इन मांगो को लेकर हुआ प्रदर्शन
आंदोलनकारियों ने अपना सात सूत्री मांग पत्र बीडीओ को सौप दिया है। इसमें बकाया बाढ़ पीड़ितो का नकद भुगतान, पका हुआ भोजन में मची लूट की जांच, फसल मुआवजा व रबि फसल के लिए ऋण देने, बाढ़ से ध्वस्त हुए मकान का पुर्ननिर्माण, बकाया पेंश्नधारी का शीघ्र भुगतान, बाढ़ का स्थायी निदान करने व भूमिहीनो को 5 डिसमिल जमीन देने की मांग शामिल है।
This post was published on अक्टूबर 16, 2017 22:57
या आप जानते हैं कि गिद्ध क्यों विलुप्त हो गए? और इसका मानव जीवन पर… Read More
भारत और पाकिस्तान के 1947 के बंटवारे में केवल जमीन ही नहीं, बल्कि घोड़ागाड़ी, बैंड-बाजा,… Read More
7 दिसंबर 1941 का पर्ल हार्बर हमला केवल इतिहास का एक हिस्सा नहीं है, यह… Read More
सफेद बर्फ की चादर ओढ़े लद्दाख न केवल अपनी नैसर्गिक सुंदरता बल्कि इतिहास और संस्कृति… Read More
आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और चीन ने साम्यवाद का पथ चुना।… Read More
मौर्य साम्राज्य के पतन की कहानी, सम्राट अशोक के धम्म नीति से शुरू होकर सम्राट… Read More