पाक से क्यों मांग रहे हैं आजादी? पढ़िए पुरा रिपोर्ट
बलूचिस्तान के लोगों ने पाकिस्तान के खिलाफ आर पार की लड़ाई शुरू कर दी है। बलूच अपनी आजादी की मांग कर रहें हैं। भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा बलूचो के मानवाधिकार उल्लंघन का मामला उठाया जाने के बाद तो यह आंदोलन और भी जोड़ पकड़ चुकी है।
आखिर क्या है बलूचिस्तान का सच ?
– 1948 में कलात के स्वायत्तशासी बलूच पर पाक कब्जे के बाद से ही आजादी के लिए बलूचिस्तान में लगातार विद्रोह होते रहे हैं।
– बलूच में होने वाले विद्रोह को दबाने के लिए पाकिस्तान सैन्य अभियान चलाता रहा है।
– अभी यह राज्य पाकिस्तान और इरान के बीच बंटा है। पाकिस्तानी के हिस्से के बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा है।
– पाकिस्तान ने 1948, 1958-59, 1962-63 और 1973-77 में यहां सैन्य अभियान चलाए।
– बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र कराने की मांग लगातार उठती रही है।
– पाकिस्तान से आजादी के लिए कई हथियारबंद व अलगाववादी समूह बलूचिस्तान में सक्रिय हैं।
– बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और लश्कर-ए-बलूचिस्तान प्रमुख अलगाववादी समूह हैं।
– पाकिस्तान सरकार पर बलूच आंदोलन को दबाने और बलूचियों की मांग को दरकिनार करने के आरोप भी लगते रहे हैं।
– पाकिस्तान ने हजारों बलूचियों को नजरबंद किया, सेना और सरकारी नौकरियों में बलूचियों के प्रवेश पर रोक है।
– आरोप है कि पाक ने लोकतांत्रिक बलूच नेताओं की हत्या करवाई है।
– स्थानीय बलूच नेताओं के प्रभाव को खत्म करने के लिए पाक ने आम चुनावों में तालिबानियों की मदद भी की।
– पाकिस्तानी सरकार पर इस इलाके में मीडिया कवरेज पर नजर रखती है।
– पाक इंटेलीजेंस एजेंसियां इस इलाके में काम कर रहे विदेशी पत्रकारों को प्रताड़ित करती हैं।
– बलूचो का कहना है कि मानवाधिकार उल्लंघन के मामले इतने बढ़ चुके हैं कि अब बलूचियों का अस्तित्व संकट में है।
– पाकिस्तान किल एंड डंप की नीति पर चल रहा है। पाकिस्तानी सेना बलूची पुरुषों की हत्या कर रही है।
– पाक सेना महिलाओं को कब्जे में लेकर बलात्कार और यातनाओं के जरिए उनका मनोबल तोड़ रही है।
– पाकिस्तान पर बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का बेरहमी से दोहन करने का भी आरोप है।
– नाएला के अनुसार आजाद बलूचिस्तान न्यूक्लियर फ्री, आतंकमुक्त, सेक्युलर, प्रजातांत्रिक, प्लूरलिस्टिक और जेंडर बैलेंस्ड होगा।