KKN गुरुग्राम डेस्क | सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे आपराधिक मानहानि मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी। यह मामला 2018 में दिए गए उनके बयान से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को “झूठा” और “अहंकार से भरा” बताया था और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को “हत्या का आरोपी” कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने यह अंतरिम आदेश राहुल गांधी की विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें उन्होंने झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है।
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मामले का विवरण
यह विवाद 18 मार्च, 2018 को हुए एआईसीसी पूर्ण अधिवेशन में राहुल गांधी द्वारा दिए गए भाषण से शुरू हुआ। उनके इस बयान पर भाजपा कार्यकर्ता नवीन झा ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया। इस मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 और 500 के तहत आरोप लगाए गए हैं, जो मानहानि से संबंधित हैं।
मामले की कानूनी प्रगति:
- मजिस्ट्रेट कोर्ट ने खारिज की शिकायत:
रांची की मजिस्ट्रेट अदालत ने नवीन झा की शिकायत को खारिज कर दिया। - पुनर्विचार याचिका:
नवीन झा ने रांची के न्यायिक आयुक्त के समक्ष आपराधिक पुनर्विचार याचिका दायर की। न्यायिक आयुक्त ने मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करते हुए मामले को फिर से जांचने के निर्देश दिए। - नए सिरे से आदेश जारी:
मजिस्ट्रेट ने पुनर्विचार याचिका के निर्देशों के बाद, 28 नवंबर, 2018 को मामले की फिर से जांच की और राहुल गांधी के खिलाफ आईपीसी की धारा 500 के तहत प्रथम दृष्टया मामला पाया। अदालत ने राहुल गांधी को पेश होने का समन जारी किया। - हाई कोर्ट का फैसला:
राहुल गांधी ने न्यायिक आयुक्त और मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी, लेकिन झारखंड उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट की रोक और दलीलें
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई करते हुए मामले पर रोक लगाई। कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए सुनवाई लंबित रखी।
राहुल गांधी के वकील की दलील:
- सीधे पीड़ित का अधिकार:
वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, जिन्होंने राहुल गांधी की ओर से पेश होकर दलील दी, ने कहा कि केवल प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित व्यक्ति ही आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कर सकता है। - प्रॉक्सी शिकायत की अनुमति नहीं:
सिंघवी ने तर्क दिया कि भाजपा कार्यकर्ता नवीन झा एक तीसरे पक्ष के रूप में शिकायत दर्ज नहीं कर सकते। - धारा 199 सीआरपीसी का उल्लंघन:
उन्होंने कहा कि शिकायत दर्ज करते समय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 199 के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया।
शिकायतकर्ता का पक्ष:
- शिकायतकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने तर्क दिया कि राहुल गांधी के बयान ने भाजपा और उसके नेताओं की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है, जिससे शिकायतकर्ता के पास मामला दर्ज कराने का कानूनी अधिकार है।
मानहानि के आरोपों की समीक्षा
झारखंड उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि राहुल गांधी का भाषण भाजपा नेतृत्व और कार्यकर्ताओं के खिलाफ मानहानिकारक था।
हाई कोर्ट का अवलोकन:
- भाजपा नेतृत्व पर आरोप:
गांधी ने अपने बयान में कहा कि भाजपा नेता “झूठे” और “अहंकार में डूबे हुए” हैं। - अमित शाह पर टिप्पणी:
उन्होंने अमित शाह को “हत्या का आरोपी” कहकर भाजपा पर निशाना साधा। - कार्यकर्ताओं की प्रतिष्ठा पर असर:
अदालत ने कहा कि यह बयान भाजपा कार्यकर्ताओं की प्रतिष्ठा को प्रभावित करता है, क्योंकि यह पार्टी के नेतृत्व और कार्यकर्ताओं को नकारात्मक रूप में चित्रित करता है।
धारा 499 और 500 आईपीसी: मानहानि कानून
धारा 499:
अगर कोई व्यक्ति ऐसे बयान देता है जो किसी अन्य व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है, तो इसे मानहानि माना जाता है।
धारा 500:
धारा 499 के तहत किए गए मानहानि के अपराध के लिए सजा का प्रावधान है।
झारखंड हाई कोर्ट ने माना कि राहुल गांधी के बयान से प्रथम दृष्टया मानहानि का मामला बनता है।
मामले का कानूनी महत्व
यह मामला केवल एक राजनीतिक विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न उठाता है:
- स्वतंत्रता बनाम मानहानि:
क्या राजनीतिक भाषण में की गई सामान्य टिप्पणियां मानहानि के दायरे में आती हैं? - लोकस स्टैंडी (कानूनी अधिकार):
क्या किसी राजनीतिक पार्टी का सदस्य पार्टी के खिलाफ की गई टिप्पणी पर मानहानि का दावा कर सकता है? - प्रॉक्सी शिकायत का कानूनी आधार:
क्या किसी तीसरे पक्ष को ऐसे मामलों में शिकायत दर्ज करने की अनुमति दी जानी चाहिए?
राजनीतिक और कानूनी संदर्भ
यह मामला भारत में बढ़ते राजनीतिक मानहानि मामलों का उदाहरण है, जहां सार्वजनिक बयानों को अदालत में चुनौती दी जा रही है।
भविष्य की दिशा:
इस मामले का अंतिम निर्णय राजनीतिक भाषण और कानून के बीच संतुलन स्थापित करने में महत्वपूर्ण होगा। यह फैसला भविष्य में मानहानि के मामलों में एक नजीर बन सकता है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले पर रोक लगाना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मामला राजनीतिक और कानूनी दोनों संदर्भों में गहन चर्चा का विषय है।
जबकि अंतिम निर्णय आना बाकी है, यह मामला स्वतंत्र अभिव्यक्ति, कानूनी अधिकारों, और राजनीतिक प्रतिष्ठा के मुद्दों को उजागर करता है।
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