भारत के आधा से अधिक भूभाग पर भाजपा नीत केन्द्र सरकार का प्रभुत्व है। पिछले चुनावों में मिली भारी जीत से भाजपा का मनोबल उंचा हुआ है। देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में मिली जीत से भाजपा के समर्थक व कार्यकर्ता उत्साहित है। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राजनीति का अतुलनीय शिखर पुरुष की संज्ञा दे दी गई है। शोहरत की नई उपलब्धी से गदगद मोदीजी अब नबीन भारत बनाने की कल्पना करने लगें हैं।
नबीन भारत कैसा होगा? कब होगा? इन सवालो के जड़िए, सोचने वालो की कल्पना में दो सम्भावनाएं है। 1. नोटबंदी से जिस तरह 6 फीसदी कालाधन बैंको में आ गया है, उसी तरह शेष 94 फीसदी कालाधन भी सरकारी खजाने में आ जायेगा। सचमुच प्रत्येक खाताधारी के बचत खातों में 15 लाख रुपये आने की घोषणा सत्य सावित होगी। प्रति वर्ष दो करोड़ बेरोजगारो को रोजगार मिल जायेगा। इसके अतिरिक्त प्रयास बढ़ा कर हर हाथ को काम, हर खेत को पानी, हर घर को बिजली व शौचालय, पीने का स्वच्छ पानी, उपलब्ध हो जायेंगे।
हम न खायेंगे, न खाने देंगे… के तर्ज पर सत्ता व उनके प्रहरी यथा न्यायपालिका, कार्यपालिका व मीडिया भ्रष्टाचार मुक्त हो जायेंगे। किसान के कृषि ऋण माफ हो जायेंगे। पैदावार की लागत खर्ज का डेढ़ा गुणा मूल्य किसानो को मिलने लगेगा। सभी जल स्त्रोतो को स्वच्छ करते हुए, शहरो व गांवो को स्वच्छ करते हुए स्वच्छ भारत अभियान सफल होगा।
मेक इन इंडिया के जरिये स्वदेशी उत्पाद पर बल देकर निर्यात को बढाया जायेगा तथा आयात घटा कर शून्य कर दिया जायेगा। देश के भीतरी व बाहरी खतरो से निपटा जायेगा। युवा वर्ग को आरएसएस के घटको से जोड़ कर पार्टी को सशक्त व सुदृढ़ बनाया जायेगा। इस तरह पार्टी व देश दोनो के लिए अच्दे दिन अवश्य आ जायेंगे। ऐसे अच्दे दिन आने के लिए कमसे कम पांच या सात वर्षो तक धैर्य रखना होगा।
मोदीजी की दूरदर्शिता काबिले तारीफ है। भूमि आबंटन के जिस हथियार से माननीय ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में लम्बे अर्से से राज कर रहे कम्यूनिष्टो को किसान बिरोधी साबित करके धरासायी कर दिया, उसी हथियार का इस्तेमाल कर गुजरात में उन्होंने 45 हजार एकड़ भूमि टाटा समूह को कारखाना खोलने के लिए देकर, देश के बड़े उद्दोगपतियो की नजर में पूंजीवाद के संरक्षक के रुप में सर्वोत्तम बन गये और पार्लियामेंट के चुनाव में सर्व मान्य बन कर उभरे।
संघ के इशारो पर चलने वाली भाजपा में किसी अन्य नेता को संघ के फैसले का प्रतिकार करने का साहस नही हो पाया और आप सर्वमान्य नेता बन कर उभरे। यही नही, बड़े उद्योगपतियो व पूंजीपतियो ने तन मन धन से आपकी पार्टी को अजेय बहुमत के साथ पार्लियामेंट भेज दिया। सत्त की महक आतें ही अपनी ही पार्टी के अनुभवी व कद्दावर नेताओं को आपने पार्टी से दरकिनार कर दिया। देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में हिन्दुत्व का खुला एजेंडा चलाया और जीते भी।
दुर्भाग्यवश इनमें से कोई भी लेनिन, माओत्से तुंग, होचीमिन, कोई फिदेल कास्त्रो या ह्यूगो सावेज पैदा नही हो रहा है। जो इनमें एकता स्थापित कर सके और 21वीं सदी का लाल इतिहास बना सके। मुझे विश्वास है कि वामपंथी एकता से भारत का राष्ट्रीय विकल्प बन जाता तो धार्मिक कट्टरपंथ पैदा नही होता। शोषण मुक्त विकासवाद व वैज्ञानिक समाज का निर्माण होता। देश की अखंडता बनी रहती। मैत्रीपूर्ण विदेश नीति फलीभूत होती। धर्म, शोषण आदि की जड़ो में पलने वाला आतंकवाद का खौफ सदा के लिए मिट जाता।
वामपंथी बिकल्प हो सकता है। जब पार्टी पदो पर चिपके अपनी जवानी की मात्र एक दो घटनाओं का लगातार हवाला देते हुए पार्टी के बड़े पदो पर चिपके वर्तमान असमर्थ सीनियरो को ठेल कर युवा वर्ग आगे आवे। वेसे युवा वर्ग जो धर्म, जाति, निहित स्वार्थ, कुत्सित भावनाओ से दूर राष्ट्रहीत में मानवता के उच्च मूल्यों के लिए कुर्बानी देने को तैयार हो।
परिस्थियां अनुकूल होती जा रही है। क्योंकि, आज की सत्ता में अफसर व नेताओं में अधिकांश भ्रष्ट है। भाई भतीजा करने वालें हैं। रिश्वतखोर हैं। ऐसे में येग्य मेधावी युवा आर्थिक पिछड़ेपन के कारण सरकारी नौकरी से बंचित होते जा रहें हैं। बंद होते उद्योग के कारण रोजगार के अवसर से पिछड़ते जा रहें हैं। हत्या, अपराध, लूट को संरक्षण देने वाली सत्ता को उखाड़ फेकने में क्या युवा वर्ग का नेतिक कर्तव्य नही है? क्या वे हाथ पर हाथ धरे बैठे रह कर निराशा की बदहाल जिन्दगी जीते रहेंगे? ऐसे में स्वामी विवेकानंद की वाणी स्मरणीय है -जागो, उठो और तब तक नही रुको जब तक लक्ष्य नही पा लो। मुझे अटूट विश्वास है कि एक न एक दिन युवा वर्ग धूंध चीर कर नया सुखद राष्ट्रीय विकल्प अवश्य लायेंगे।
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