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किसानो के अरमान को जंगली जानवरों ने रौंदा

मुसीबत में फंसे किसान

मक्का की खेती

KKN न्यूज ब्यूरो। उत्तर बिहार के किसान मुसीबत में है। लॉकडाउन और बारिश की वजह से गेंहूं और सब्जी की खेती से निराश हो चुके किसानो की आखरी उम्मीद मक्का की खेती से था। किंतु, जंगली जानवरो ने फसल को अपने पैरों से रौंद कर उम्मीद पर पानी फेर दिया है। जंगली जानवर का आतंक कमोवेश बिहार के सभी जिलों में है। किंतु, मुजफ्फरपुर जिला का ग्रामीण इलाक तो त्राहिमाम कर रहा है। मीनापुर के किसान नीरज कुमार बतातें है कि मक्के की खेतों में जंगली जानवरों ने धावा बोल दिया है। सैकड़ों की संख्या में अलग-अलग झुंड बना कर जंगली सुअर, वन बकड़ा और घोड़परास के दौड़ लगाने से मक्के की खड़ी फसल को जबरदस्त नुकसान हुआ है। किसानो ने बताया कि अकेले अलीनेउरा के खेतों में 30 प्रतिशत मक्के की खड़ी फसल को जंगली जानवरों ने रौंद दिया है। कमोवेश पूरे मीनापुर का यही हाल है।

मक्का से बची थीं आखरी उम्मीद

नीरज कुमार आगे बताते हैं कि लॉकडाउन और बारिश के बीच गेहूं, टमाटर, लीची और अन्य सब्जी की फसल से किसान पहले ही निराश हो चुके थे। हालांकि, मक्के की खेती से किसानो की आखरी उम्मीद बची थी। लेकिन जंगली जानवरों ने मक्के की फसल पर जिस तरह से धावा बोला है। इससे किसान हताश होने लगें हैं। गांव में बड़े पैमाने पर भूखमरी की समस्या दस्तक देने लगी है। नेउरा के किसान राजनारायण प्रसाद और वरुण प्रसाद बतातें हैं कि जंगली जानवर अब केला की फसल को भी निशाना बनाने लगे हैं। सत्यनारायण प्रसाद बताते हैं कि खेतों को बास-बल्ला से घेरने के बाद भी जंगली जानवर घेरे को फांद कर फसल को रौद रहा हैं और बार-बार गुहार लगाने के बाद भी जिला प्रशासन इसे गंभीरता से लेने को तैयार नहीं है।

झुंड बना कर रौद देता है फसल को

मक्का की बाली

लॉकडाउन में टमाटर, भिंडी, करैला, कद्दू और बैंगन समेत सब्जी की अन्य फसल से किसानो को पहले ही जबरदस्त नुकसान हो चुका है। ऐसे में मीनापुर की करीब दो हजार हेक्टेयर में खड़ी मक्के की फसल से यहां के किसानों को बड़ी उम्मीद थी। इसी प्रकार केला से उम्मीद पाले किसान भी अब निराश होने लगें हैं। युवा किसान चंदन कुमार की माने तो जंगली सुअर, वन बकड़ा और घोड़परास की संख्या सैकड़ो में है और यह अलग अलग झुंड बना कर निकलता है। किसानो ने बताया कि जंगली जानवर अपना पेट भरने के लिए फसल का जितना नुकसान नहीं करता है। उससे कई गुणा अधिक नुकसान खेतो में इसके दौर लगाने से हो जाता है।

This post was published on मई 3, 2020 16:17

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Published by
कौशलेन्‍द्र झा

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