बंदूक की राजनीति करने वाला पड़ा अलग-थलग, युवाओं को पढ़ाया शांति का पाठ
मीनापुर। पूरी दुनिया में भारत की विशिष्ट पहचान है। विकास का दंभ भरने वाले अमेरिका में महज 13 वर्ष की उम्र में ही बच्चों को परिवार से अलग कर दिया जाता है। लेकिन, भारत में मातृ-पितृ देवो भव की संस्कृति रही है। यहां विवाह महज एक रिश्ता नहीं, बल्कि संस्था भी है।
ये बातें राष्ट्रीय युवा योजना के राष्ट्रीय निदेशक डॉ. एसएन सुब्बाराव ने गुरुवार को कहीं। वह मीनापुर के यदु भगत किसान महाविद्यालय में युवा एकता एवं सद्भावना शिविर को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने करना है हमें नव भारत का निर्माण का नारा बुलंद कर युवाओं को प्रेरित करना चाहिए। कहा कि लोगों को अपास में बैठकर समस्याओं का समाधान करने की प्रवृत्ति विकसित करनी चाहिए। कहा कि हर नागरिक को कम से कम एक घंटा देश हित में काम करना चाहिए। विवेकानन्द को देश का सबसे बड़ा आदर्श पुरुष बतातें हुए सभी को उनसे प्रेरणा लेने की अपील की। उन्होंने युवाओं को शांति का पाठ पढ़ाया। पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए बताया कि बंदूक की राजनीति करने वाला आज अलग-थलग पड़ने लगा है।
मुखिया संघ की अध्यक्ष नीलम कुमारी की अध्यक्षता में सभा का संचालन वरीय शिक्षक डॉ. श्यामबाबू प्रसाद ने किया। मौके पर पूर्व विधायक जनकधारी प्रसाद कुशवाहा, पूर्व प्राचार्य जयनारायण प्रसाद, प्रमुख राधिका देवी, धर्मेन्द्र भाई, शितल जैन, नरेन्द्र भाई, प्रज्ञा कुमारी, मालती सिंह, सोनू सरकार, डॉ. रामेश्वर प्रसाद, अशोक भारत, तेजनारायण प्रसाद, सदयकांत आलोक, सदरुल खान, रमेश गुप्ता, इश्वर गुप्ता, विश्वनाथ प्रसाद, संतोष गुप्ता आदि थे। मौके पर सुब्बाराव रचित ‘भारत की संतान’ नामक नुक्कड़ नाटक का मंचन हुआ। नेशनल यूथ प्रोग्राम के तहत पेश इस नाटक में देश के अलग-अलग राज्यों की झांकी दिखाई गई।
महिलाओं को मिले आरक्षण का लाभ : वर्षा
प्रशिक्षु आईएएस सह प्रभारी बीडीओ वर्षा ने कहा कि आज हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं। महिला सशक्तीकरण की बात कर रहे हैं। लेकिन, आज के दौर में महिलाओं को मिलने वाला आरक्षण का लाभ उनके पति उठा ले रहे हैं। जब तक महिलाएं खुद को कमजोर समझती रहेंगी, तबतक समाज का विकास संभव नहीं है।
युवा पीढ़ी से मेल-जोल बढ़ाने की अपील
पूर्व दस्यु सरगना वीर बहादुर सिंह कुशवाहा ने इस दौरान आपबीती सुनाई। कहा कि उनकी 100 बीघा जमीन पर उनके चाचा ने कब्जा कर लिया। उनकी छोटी बहन को बदमाशों ने घर से उठाकर बेच दिया। इन घटनाओं से मर्माहत होकर उन्होंने चंबल की राह पकड़ी। उनपर मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में 15 सौ केस दर्ज हुए। बंगलादेश की आजादी पर बनी डॉक्यूमेंट्री ने उनके जीवन पर अमीट छाप छोड़ी। इसके बाद उन्होंने सरदार माधव सिंह के नेतृत्व में चंबल के 654 डाकुओं के साथ आत्म समर्पण करने का निर्णय लिया व मुरैना में चल रहे सुब्बाराव के आश्रम से संपर्क किया। सुब्बाराव ने उनकी इसमें काफी मदद की। उन्होंने युवा पीढ़ी से बंदूक की राजनीति से दूर रहने व मेल-जोल बढ़ाने की अपील की है।
पुष्प वर्षा कर किया गया स्वागत
मीनापुर पहुंचने पर स्कूली छात्र-छात्राओं ने पुष्प वर्षा कर सुब्बाराव का स्वागत किया। मौके पर छात्र नारा लगा रहे थे कि जोड़ो-जोड़ो भारत जोड़ो, हम सुधरेंगे जग सुधरेगा। कस्तुरबा की छात्राओं के स्वागत गान पेश करने के बाद सुब्बाराव ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके बाद सभी ने विवेकानन्द के चित्र पर पुष्प अर्पित किए।