अफगानिस्तान की एनआरआइडीपी ने किया घोसौत का दौरा घूम घूम कर देखा महिलाओ की खेती और किसानी जैविक खेती से लेकर हनी रिसोर्स सेंटर से हुआ प्रभावित टीम ने कहा मिशाल है यहां की आधी आबादी जीविका के कार्यो से हुआ गदगद
संतोष कुमार गुप्ता
मीनापुर। नही हुआ है अभी सवेरा पूरब की लाली पहचान, चीड़ियो के जागने से पहले खाट छोड़ देता है किसान। आतंक के सांये से निकलकर जब मीनापुर की धरती पर अफगानी टीम का कदम पड़ा तो यहां की हरित क्रांति को देख विदेशी टीम भौंचक रह गयी। जब टीम सुबह आठ बजे मीनापुर के घोसौत गांव पहुंची तो खेतो में महिलाएं हंसिया खुरपी के साथ उतर चुकी थी। विदेशी मेहमानो का कदम जैसे ही पड़ा तो लोक पारम्पारिक तरीके से इनकी आरती उतारी और फिर तिलक लगाये। रूरल इंटरप्राइज डेवलपमेंट प्रोग्राम अफगानिस्तान व एमआरडीडी की टीम ने जीविका के महिलाओ द्वारा किये जा रहे कार्यो को देखने शनिवार की सुबह घोसौत पहुंची। वहां पर पूजा जीविका मधु उत्पादन समूह व गंगा जीविका कृषि उत्पादन समूह से जुड़े महिला किसानो के कार्यो को देखा। सबसे पहले महिलाओ द्वारा बनाये गये कीचेन गार्डेन को देखा। यहां 20×20 फीट जमीन पर जैविक खेती कर एक खेत मे तेरह प्रकार की फसल उगायी जाती है। टीम ने देखा की एक छोटा सा प्लॉट मे कैसे फूलगोभी, बंधगोभी, धनिया, लहसुन, प्याज, मूली, पालक, गाजर, लाल साग आदि उगाये गये है।
महिला किसान सुनैना देवी, सुनिता देवी, किरण देवी, वीणा देवी, मधु देवी व पम्मी देवी ने बताया कि इसके कई फायदे है। इसमे रासायनिक खाद का बिल्कुल उपयोग नही किया गया है। इसमे वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल हुआ है। इसमे प्रचुर मात्रा मे पोषक तत्व है। जिस से गांव के लोग बीमार नही पड़ते है। बाजार मे यहां की सब्जी की ज्यादा मांग है। दुसरी ओर आलू, मटर, मक्का, सरसो व बाजरा की मिक्स क्रॉप खेती ने भी सबको प्रभावित किया। महिलाओ ने बताया कि यहां सालो भर सब्जी की खेती होती है। टीम ने वर्मी कम्पोस्ट शेड पर जाकर देखा की महिलाए कैसे केचुआ व अन्य समाग्री से वर्मी कम्पोस्ट(जैविक खाद) तैयार करती है। इसके अलावा मिट्टी के पोषण के लिए जीवामृत व धन जीवामृत के अलावा महिलाओ द्वारा बनाये गये कीटनाशी निमास्त्र, आग्नेयास्त्र व ब्रम्हास्त्र के बारे मे भी जानकारी हासिल की।
टीम ने हनी रिसोर्स सेंटर पहुंचकर जाना की कैसे महिलाये मधुपालन करती है। यहां की 52 महिलाओ ने दस दस बक्शा के साथ मधुमक्खी का कारोबार शुरू किया था। किंतु, आज बक्शे की संख्या 520 से बढकर 25 सौ हो चुकी है। बीस हजार की पूंजी से कारोबार शुरू करने वाले महिलाओ ने अपना पूंजी चार लाख कर लिया है। जीविका के क्षेत्रिय समन्वयक कौशल किशोर प्रसाद ने टीम को बताया कि यहां की महिलाए लीची की खेती मे भी पारंगत है। यहां की लीची हवाई जहाज से देश के विभिन्न महानगरो मे भेजी जाती है। बाद मे टीम ने खुशी संकुल स्तरीय संघ के साथ बैठक कर महिलओ की खुशहाली को जाना। साथ ही कहां कि घोसौत मॉडल को अफगानिस्तान की जमीन पर भी उतारा जायेगा।
टीम लीडर मसूद समर, हुमांयू, मो सईद, सुभा सारा व जरीना शामिल थी। साथ मे पटना के एसपीएम विश्वविजय, डीपीएम संतोष कुमार सोनू, लाइवलीहुड प्रबंधक किरण कुमारी, जॉब मैनेजर अभिषेक श्रीवास्तव, लेखापाल मुकेश कुमार, ऋषिकांत ओझा, क्षेत्रिय समन्वयक कौशल किशोर प्रसाद, जेबा कैसर, राजभान कुमार, केदार कुमार गुप्ता, धर्मेंद्र कुमार, सीएलएफ अध्यक्ष सुनिता देवी व कोषाध्यक्ष किरण देवी मौजूद थी।
This post was published on फ़रवरी 11, 2018 12:36
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