जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन ने बड़ा मोड़ ले लिया है। सुरक्षाबलों ने श्रीनगर के लिडवास इलाके में चलाए गए ऑपरेशन महादेव के तहत तीन आतंकियों को मार गिराया है। यह एनकाउंटर काफी लंबे समय तक चला और बताया जा रहा है कि मारे गए आतंकवादी 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम नरसंहार में शामिल थे। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है।
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ऑपरेशन महादेव के तहत बड़ी कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियों को दो दिन पहले दाचीगाम के जंगलों में संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिली थी। बातचीत इंटरसेप्ट होने के बाद सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ ने साझा रूप से कार्रवाई की योजना बनाई। लिडवास में आतंकियों की मौजूदगी की जानकारी मिलते ही इलाके को घेर लिया गया और मुठभेड़ शुरू हुई।
भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स ने बताया कि भारी गोलीबारी के बीच तीन आतंकियों को ढेर कर दिया गया है। अभियान अब भी जारी है और इलाके में सर्च ऑपरेशन चल रहा है ताकि किसी और आतंकी की मौजूदगी की पुष्टि की जा सके।
पहलगाम हमले से जोड़ कर देखा जा रहा संबंध
22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। हमलावरों ने निर्दोष पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग कर 26 लोगों की हत्या कर दी थी। मृतकों में अधिकतर हिंदू श्रद्धालु शामिल थे। शुरुआती तौर पर इस हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ यानी द रेसिस्टेंस फ्रंट ने ली थी, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक फ्रंट संगठन माना जाता है। हालांकि बाद में उन्होंने इससे इनकार कर दिया।
भारतीय जांच एजेंसियों और विशेष रूप से एनआईए ने अपनी जांच में हमले के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका को उजागर किया था। बताया गया था कि हमलावर पाकिस्तान के नागरिक थे और सीमापार से भेजे गए थे।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब ऑपरेशन महादेव
पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना ने 7 मई को जवाबी कार्रवाई करते हुए ऑपरेशन सिंदूर चलाया था, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके में आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया गया था। अब ऑपरेशन महादेव को उसी सिलसिले की कड़ी माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य उन सभी आतंकियों को खत्म करना है जो हमले में सीधे या परोक्ष रूप से शामिल थे।
सुरक्षाबलों की सतर्कता और स्थानीय प्रभाव
लिडवास क्षेत्र में मुठभेड़ के दौरान स्थानीय नागरिकों को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था। सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेरकर प्रवेश और निकास के सभी रास्तों पर निगरानी रखी। मुठभेड़ के दौरान भारी गोलीबारी की आवाजें सुनी गईं जिससे इलाके में तनाव का माहौल बन गया।
इलाके में स्कूल और दुकानें बंद कर दी गईं और यातायात भी रोक दिया गया। प्रशासन का कहना है कि जैसे ही ऑपरेशन पूरा होगा, क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल कर दी जाएगी।
आतंकियों से बरामद हथियार और सबूत
मुठभेड़ स्थल से सुरक्षाबलों को कई हथियार, ग्रेनेड, संचार उपकरण और मोबाइल फोन मिले हैं। माना जा रहा है कि इनसे पहलगाम हमले और आतंकियों की पृष्ठभूमि के बारे में अहम सुराग मिल सकते हैं। एनआईए और अन्य खुफिया एजेंसियां बरामद सामग्रियों की फॉरेंसिक जांच में जुट गई हैं ताकि आतंकियों की पहचान और नेटवर्क का पूरा नक्शा तैयार किया जा सके।
राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रिया
इस ऑपरेशन के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है। भाजपा नेताओं ने इसे सुरक्षा बलों की बड़ी कामयाबी बताया है। वहीं कुछ विपक्षी नेताओं ने पारदर्शिता और ठोस सबूतों की मांग की है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इस तरह की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को और मजबूत बनाने की जरूरत है।
लगातार सक्रिय है भारतीय सेना
जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए भारतीय सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बल लगातार सघन अभियान चला रहे हैं। बीते कुछ महीनों में कई बड़े ऑपरेशन के जरिए दर्जनों आतंकियों को ढेर किया गया है। अधिकारियों का मानना है कि सीमा पार से आतंकियों को भेजने का सिलसिला अब भी जारी है, लेकिन भारतीय सुरक्षाबल हर मोर्चे पर तैयार हैं।
TRF और लश्कर-ए-तैयबा की रणनीति
टीआरएफ को लश्कर-ए-तैयबा की फ्रंट यूनिट के तौर पर देखा जा रहा है जो आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए नए नाम और नई रणनीति अपनाती है। सुरक्षाबलों का मानना है कि अब ये संगठन सीधे हमलों की जिम्मेदारी लेने से बचते हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव न बढ़े। लेकिन उनके पीछे की योजना और नेटवर्क वही रहते हैं जो पहले भी रहे हैं।
लिडवास में हुई मुठभेड़ में तीन आतंकियों का मारा जाना सुरक्षा एजेंसियों की एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। अगर इन आतंकियों का सीधा संबंध पहलगाम हमले से जुड़ता है तो यह ऑपरेशन उन पीड़ितों के लिए न्याय का पहला कदम होगा। वहीं, यह भी स्पष्ट हो गया है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपने रुख से न तो पीछे हटेगा और न ही किसी दबाव में आएगा।
आने वाले दिनों में इस ऑपरेशन के और भी खुलासे हो सकते हैं और यह भी संभव है कि इससे जुड़े कई और नाम सामने आएं। लेकिन फिलहाल इतना साफ है कि सुरक्षाबलों की यह कार्रवाई आतंकियों के हौसले पस्त करने वाली है और जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
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