KKN गुरुग्राम डेस्क | सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, श्रीनगर सेंट्रल जेल और जम्मू स्थित कोट भलवाल जेल जैसे अत्यधिक संवेदनशील जेल परिसरों पर आतंकी हमले की आशंका जताई गई है। इस खुफिया चेतावनी के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने दोनों जेल परिसरों की निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था को अत्यधिक कड़ा कर दिया है।
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इन दोनों जेलों में कई हाई-प्रोफाइल आतंकवादी और ओजीडब्ल्यू (Overground Workers) बंद हैं, जो कश्मीर घाटी और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में आतंकी गतिविधियों से जुड़े रहे हैं।
क्यों हैं ये जेलें निशाने पर?
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श्रीनगर सेंट्रल जेल को लंबे समय से संवेदनशील माना जाता रहा है, क्योंकि यह कश्मीर के अशांत क्षेत्रों के निकट स्थित है और इसमें कई खतरनाक आतंकियों को बंद किया गया है।
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वहीं, कोट भलवाल जेल देश की सबसे संरक्षित जेलों में से एक मानी जाती है, जिसमें उन आतंकियों को रखा जाता है जो सीमा पार से ऑपरेशन में लिप्त रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, इन जेलों पर हमले का उद्देश्य भारत की आतंकरोधी रणनीति को कमजोर करना हो सकता है।
जेलों में बंद OGW और नेटवर्क पर नजर
इन जेलों में बंद कई कैदी सिर्फ आतंकी नहीं, बल्कि OGW (Overground Workers) हैं जो सक्रिय आतंकियों के लिए:
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सूचना एकत्रित करने
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लॉजिस्टिक सपोर्ट
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नई भर्ती के काम में मदद करते हैं।
खुफिया एजेंसियों को शक है कि भीतर से मिली जानकारी और बाहर से मदद के जरिए एक सुनियोजित हमला या जेल ब्रेक की योजना बनाई जा रही है।
खुफिया एजेंसियां और पुलिस हाई अलर्ट पर
इस संभावित खतरे के इनपुट के बाद IB (इंटेलिजेंस ब्यूरो), RAW, सेना की खुफिया इकाई, J&K पुलिस का CID विंग, और अन्य एजेंसियां संयुक्त रूप से निगरानी और जांच अभियान चला रही हैं।
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जेल कर्मचारियों की पृष्ठभूमि की जांच
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कैदियों की हाल की गतिविधियों की निगरानी
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विजिटर रिकॉर्ड और कम्युनिकेशन पैटर्न की समीक्षा
जैसे कदम तेजी से उठाए जा रहे हैं ताकि साजिश को समय रहते विफल किया जा सके।
कड़े सुरक्षा उपाय: गश्त, सीसीटीवी और SOP में बदलाव
दोनों जेलों में सुरक्षा को नए सिरे से दुरुस्त किया गया है। लागू किए गए कुछ मुख्य कदम:
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ज्यादा संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती
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उन्नत CCTV कैमरों और मोशन डिटेक्टरों की स्थापना
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नाइट विजन डिवाइस के साथ निगरानी
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जेल परिसर में प्रवेश को नियंत्रित और सीमित करना
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डॉग स्क्वॉड की नियमित पेट्रोलिंग
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प्रतिदिन सुरक्षा ऑडिट और संयुक्त जांच टीमों की तैनाती
साथ ही आतंकी हमले या जेल ब्रेक की स्थिति में SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) को अपडेट किया जा रहा है।
पुराने मामलों से मिली सीख
यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब पिछले कुछ वर्षों में कई बार जेलों का उपयोग आतंकी साजिशों की योजना बनाने में किया गया है। उदाहरणस्वरूप:
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2018 का पुलवामा जेल ब्रेक प्लान, जो समय रहते नाकाम कर दिया गया था
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जेल में बंद कैदियों को मोबाइल फोन और सिम कार्ड सप्लाई करने की घटनाएं
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जेल के भीतर ही कैदियों के कट्टरपंथी नेटवर्क को सक्रिय करने के प्रयास
इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि जेल के भीतर भी सुरक्षा और खुफिया प्रणाली की सख्त जरूरत है।
हमले की साजिश के रणनीतिक और राजनीतिक परिणाम
यदि इन जेलों पर कोई भी आतंकी हमला सफल होता है, तो इसके परिणाम होंगे:
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राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र पर अंतरराष्ट्रीय सवाल
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स्थानीय अशांति और जनता में भय का माहौल
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पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को बल
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जम्मू-कश्मीर प्रशासन की छवि पर असर
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस पूरे घटनाक्रम पर नजर रखी है और गृह मंत्री अमित शाह स्वयं उच्च स्तर पर समीक्षा कर रहे हैं।
आम जनता को सतर्क रहने की अपील
स्थानीय प्रशासन द्वारा जेलों के आसपास रहने वाले नागरिकों को:
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किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तत्काल देने
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जेल क्षेत्र में गैर-जरूरी आवाजाही से बचने
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मीडिया अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की गई है।
इसके अलावा, प्रशासन जल्द ही जन-जागरूकता अभियान, हॉटलाइन और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग जैसे उपायों को भी शुरू करने की योजना बना रहा है।
श्रीनगर सेंट्रल जेल और कोट भलवाल जेल पर आतंकी हमले की आशंका यह संकेत देती है कि आतंकवादी अब रणनीति बदल रहे हैं और प्रतीकात्मक व संवेदनशील ठिकानों को निशाना बना रहे हैं।
भारत की सुरक्षा एजेंसियां इस खतरे से निपटने के लिए पूर्ण सतर्कता और आधुनिक तकनीकों के साथ तैयार हैं।
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