डेढ़ दर्जन बच्चों की मौत, हाई अलर्ट
उत्तर बिहार का कई जिला अन दिनो चमकी बुखार की चपेट में है। विशेषकर मुजफ्फरपुर जिला इस बीमारी से सर्वाधिक प्रभावित है। पिछले करीब डेढ़ दशक से मुजफ्फरपुर जिले में चमकी बुखार अब महामारी का रुप धारण करने लगा है। इस साल करीब डेढ़ दर्जन बच्चो की मौत हो चुकी है। डेढ़ दशक में हजारो बच्चे काल कलवित हो चुकें हैं। बावजूद इसके अभी तक बीमारी के ठोस कारणो का पता नहीं चला है। गौर करने वाली बात ये है कि गर्मी के साथ बीमारी का प्रकोप खतरनाक रुप धारण करने लगता है और बारिश शुरू होते ही इसका प्रकोप अपने आप थम जाता है।
बीमारी बना पहेली
उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर जिला में यह बीमारी चिकित्सा जगत के लिए पहेली बन चुका है। बर्तमान में इसे ए.इ.एस. यानी चमकी बुखार का नाम दिया गया है। इस बीमारी से अब तक डेढ़ दर्जन मासूम काल के गाल में समा चुके हैं। जबकि, करीब चार दर्जन से अधिक बच्चों का विभिन्न अस्पतालो में इलाज चल रहा है। चिकित्सक बच्चो को दिन में दो से तीन बार स्नान कराने की सलाह दे रहें है। इसके अतिरिक्त बच्चो को धूप से बचने और रात में खाना खाने के बाद सोने की सलाह दे रहें हैं।
यह है लक्षण
इस बीमारी से ग्रसित बच्चों को पहले तेज बुखार और शरीर में ऐंठन होने लगता है। थोड़ी देर में ही बच्चा बेहोश हो जाता हैं। शीशु रोग के जानकार बतातें हैं कि इसका कारण अत्यधिक गर्मी के साथ-साथ ह्यूमिडिटी का लगातार 50 फीसदी से अधिक रहना बताया जा रहा है। इस बीमारी का अटैक अधिकतर सुबह के समय होता है। इस जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए परिजनों को अपने बच्चों पर खास ध्यान देने की जरूरत बताई जा रही है। चिकित्सक बतातें हैं कि बच्चों में पानी की कमी नही होने दें और बच्चे को भूखा कभी नही छोड़ें। बीमारी से ग्रसित अधिकांश बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी अचानक शुगर की कमी की पुष्टि हो रही है।
पीड़ितो में अधिकांश गरीब
इस बीमारी के शिकार बच्चो में अधिकांश बच्चे गरीब परिवारों के हैं। देखा गया है कि करीब 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं और मृतक बच्चों में से अधिकांश की आयु 7 वर्ष के नीचे की होती है। गौरतलब है कि पूर्व के वर्षो में दिल्ली के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के विशेषज्ञों की टीम और पुणे के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीम भी यहां इस बीमारी का अध्ययन कर चुकी है। लेकिन, इन दोनों संस्थाओं को आज तक इस बीमारी का पुख्ता निदान नहीं मिला है। लिहाजा प्रत्येक वर्ष दर्जनों मासूमों की जान जा रही है। नतीजा, प्रत्येक वर्ष गर्मी शुरू होते ही दर्जनो बच्चों की मौत हो जाती है और सरकार मूक दर्शक बनी रहने को विवश होकर रह गई है।
This post was published on %s = human-readable time difference 12:30
आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और चीन ने साम्यवाद का पथ चुना।… Read More
मौर्य साम्राज्य के पतन की कहानी, सम्राट अशोक के धम्म नीति से शुरू होकर सम्राट… Read More
सम्राट अशोक की कलिंग विजय के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। एक… Read More
KKN लाइव के इस विशेष सेगमेंट में, कौशलेन्द्र झा मौर्यवंश के दूसरे शासक बिन्दुसार की… Read More
322 ईसा पूर्व का काल जब मगध का राजा धनानंद भोग-विलास में लिप्त था और… Read More
नाग और सांप में फर्क जानने का समय आ गया है! हममें से अधिकांश लोग… Read More