भारत के राज्य असम से एक चौकाने वाली खबर आई है। दरअसल, यहां के आंगनवाड़ी केंद्रों में करीब 14 लाख फर्जी बच्चो का नामांकन दिखा कर सरकारी धन का बड़े पैमाने पर लूट होने के खुलाशा के बाद पूरा सिस्टम हरकत में आ गया है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने स्वयं इसका खुलाशा किया है। इससे पहले असम सरकार ने जून में एक अभियान चला कर आंगनवाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या का भौतिक सत्यापन किया है। इसी के बाद पता चला कि यहां 14 लाख बच्चो का फर्जी नामांकन करके सरकारी राशि का आपस में बंदरबाट किया जा रहा है।
मंत्री ने अन्य राज्यो को भी सत्यापन कराने का दिया निर्देश
असम के खुलाशे के बाद केन्द्रीय मंत्री ने अन्य राज्यों को भी अपने यहां बच्चो के भौतिक सत्यापन कराने का निर्देश जारी कर दिया है। मंत्री ने कहा कि खाद्य वितरण प्रणाली में कई खामियां हैं। राज्य सरकारों को उन सभी बच्चों की संख्या सत्यापित करने का निर्देश दिया है, जिन्हें वाकई भोजन की जरुरत है। बताया जा रहा है कि जिस रकम की हेराफेरी की जा रही है, दरअसल उसका उपयोग आसानी से बच्चों के कल्याण के लिए किया जा सकता है। पोषण महीने के तहत सरकार पोषण केंद्रित कई कार्यक्रम शुरू करने वाली है।
ऐसे की जाती थी हेराफेरी
स्मरण रहें कि प्रत्येक बच्चे को प्रतिदिन के भोजन के लिए मंत्रालय की ओर से 4.8 रुपये और राज्य सरकार की ओर से 3.2 रुपये दी जाती है। गणना के बाद पता चला कि फर्जी नाम के सहारे अकेले असम में प्रतिमाह 28 करोड़ रुपये की चोरी की जा रही थी। इसके अतिरिक्त सरकार ने देशभर में बाल देखभाल करने वाले संस्थाओं को भी सख्ती बरतने के आदेश दे दिएं हैा देश के अलग-अलग हिस्सों से अवैध रूप से बच्चों को गोद लेने की शिकायत और बाल तस्करी की घटनाओं के मद्देनजर सरकार ने यह कदम उठाया है।
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