अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump द्वारा लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ का असर अब साफ तौर पर भारतीय उद्योगों पर दिखने लगा है। बुधवार से लागू हुए 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क के साथ भारत पर कुल टैरिफ दर 50 फीसदी तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा फिलहाल दुनिया में किसी भी देश पर लगाए गए सबसे बड़े शुल्कों में से एक है। इस फैसले का सीधा असर भारतीय कपड़ा उद्योग पर पड़ा है, जिसके चलते तिरुपुर, नोएडा और सूरत जैसे बड़े उत्पादन केंद्रों में कामकाज रुक गया है।
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कैसे बढ़ा टैरिफ 50 फीसदी तक
शुरुआत में अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया था। इसके साथ ही रूस से तेल खरीदने को लेकर जुर्माना भी लगाया गया। इसके बाद एक और 25 प्रतिशत शुल्क जोड़ा गया, जिससे कुल दर 50 प्रतिशत हो गई। भारत के अलावा केवल ब्राजील ही ऐसा देश है जिस पर इतना भारी टैरिफ लगाया गया है।
कपड़ा उद्योग पर सबसे बड़ा संकट
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (FIEO) के अध्यक्ष S.C. Ralhan के मुताबिक, बढ़ती लागत और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के चलते कई कपड़ा उत्पादकों ने उत्पादन रोक दिया है। उन्होंने कहा कि तिरुपुर, नोएडा और सूरत जैसे प्रमुख हब में मशीनें बंद करनी पड़ी हैं क्योंकि भारतीय कपड़े अब वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों के सस्ते प्रोडक्ट्स के सामने टिक नहीं पा रहे।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि सीफूड सेक्टर, खासकर झींगा निर्यात, पर भी गंभीर असर पड़ेगा। अमेरिका भारतीय सीफूड निर्यात का लगभग 40 फीसदी हिस्सा खरीदता है। ऐसे में भारी टैरिफ से सप्लाई चेन प्रभावित होगी, भंडार घटेगा और किसानों की परेशानियां बढ़ेंगी।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा से बाहर हो रहा भारत
राल्हान का कहना है कि 50 फीसदी टैरिफ के चलते भारतीय सामान अब अपने सबसे बड़े निर्यात बाजार, अमेरिका, में टिक नहीं पाएंगे। चीन, वियतनाम, कंबोडिया, फिलीपींस और दक्षिण एशियाई देशों के उत्पाद पहले से ही सस्ते हैं, ऐसे में भारतीय उत्पाद प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाएंगे।
राहत की उम्मीद में कपड़ा उद्योग
कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) के अध्यक्ष Rakesh Mehra ने कहा कि इंडस्ट्री सरकार से राहत की उम्मीद कर रही है। सरकार और उद्योग जगत के बीच बातचीत जारी है, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए वित्तीय मदद और कच्चे माल की उपलब्धता से जुड़े त्वरित फैसले बेहद जरूरी हैं।
भारत-अमेरिका वार्ता और तनावपूर्ण रिश्ते
ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीति के बीच भारत और अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों ने हाल ही में 2+2 अंतरसत्रीय वार्ता के तहत डिजिटल बातचीत की। इसमें असैन्य परमाणु सहयोग, व्यापार, निवेश, ऊर्जा सुरक्षा और महत्वपूर्ण खनिजों पर चर्चा हुई। हालांकि, इस वार्ता की पृष्ठभूमि में दोनों देशों के बीच बढ़ता व्यापारिक तनाव साफ झलक रहा था।
भारतीय उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा स्थिति में भारत को अमेरिका पर निर्भरता घटाकर नए निर्यात बाजारों की तलाश करनी होगी। यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में अवसर तलाशना जरूरी है। साथ ही, घरेलू स्तर पर टेक्नोलॉजी और वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स पर निवेश कर ही भारत इस संकट से उबर सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ ने भारत के कपड़ा उद्योग समेत कई अन्य क्षेत्रों को संकट में डाल दिया है। प्रमुख उत्पादन केंद्रों में कामकाज रुकने से लाखों मजदूरों और किसानों की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है। सरकार से तुरंत वित्तीय और नीतिगत राहत की उम्मीद की जा रही है।
अगर हालात पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो भारत का सबसे अहम निर्यात क्षेत्र लंबे समय तक वैश्विक प्रतिस्पर्धा से बाहर हो सकता है।
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