KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के मुजफ्पुरपुर जिला अन्तर्गत मीनापुर के घोसौत गांव में बूढ़ी गंडक नदी का खौफ लोगो के सिर चढ़ कर बोल रहा है। नदी के जलस्तर में मामुली बढ़ोतरी होते ही किनारे बसे लोगो में कटाव का दहशत एक बार फिर से कायम हो गया है। घोसौत गांव के वार्ड संख्या- 13 में रहने वाले कई परिवार अपना आसियाना उजाड़ कर समय रहते सुरक्षित स्थान की ओर पलायन करने लगे है। हालांकि, अभी तक कटाव शुरू नहीं हुआ है। बावजूद इसके अपने हाथो अपना आशियाना उजाड़ रहें मो. शमसेर अ
लि ने बताया कि कटाव शुरू होने के बाद बहुत नुकसान हो जायेगा। लिहाजा, समय रहते वह नदी का किनारा छोड़ कर सुरक्षित हो लेना चाहतें हैं। शमसेर मजदूरी करके कुछ रुपये जमा किया था और अब उसी रुपये से गांव के दूसरे जगह पर घर निर्माण कार्य में लगा है। गांव में शमसेर अकेला नहीं है। बल्कि, मो. बच्चा खेनारी, कुसुम खातुन, जनत प्रवीण, मुस्कान खातुन और मो. आलमीन ने भी बूढ़ी गंडक नदी के किनारे से अपना घर तोड़ कर गांव के भीतर शिफ्ट होने की कोशिश में जुटें हैं। आलमीन बतातें है कि पुराने घर को तोड़ कर नया बनाने में लाखो रुपये की बर्बादी है। पर, कटाव की चपेट में आ गए तो कुछ नहीं बचेगा।
दो दशक से हो रहा है कटाव
घोसौत के मो. सजमुल ने बताया कि कटाव की वजह से बुढ़ी गंडक नदी करीब चार किलोमीटर के क्षेत्रफल में गांव के रिहायसी इलाका को अपने चपेट में ले चुका है। बतातें चलें कि कटाव का यह सिलसिला पिछले 20 वर्षो से जारी है। मीनापुर में बूढ़ी गंडक नदी के किनारे अनुसूचित जाति और अति पिछड़ी जाति की बड़ आबादी है। इसमें से बड़ी संख्या में लोग साल दर साल होने वाले कटाव की चपेट में आकर तबाह हो चुकें है। हालांकि, गुजिश्ता वर्षो में सरकार के द्वारा कटावरोधी कार्य की गई है। किंतु, लोगो को यह प्रयाप्त नहीं लगता है। लिहाजा, गांव में दहशत है। समाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय मुखिया के पति अजय कुमार ने बताया कि कुछ साल पहले घोसौत में कटाव रोधी कार्य हुआ था। पर, खतरा अभी टला नहीं है। दुसरी ओर अंचलाधिकारी रामजपी पासबान बतातें है कि नदी के बढ़ते जलस्तर पर प्रशासन की पैनी नजर है।
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