बिहार स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक अंतरराज्यीय साइबर धोखाधड़ी गैंग के 13 सदस्य को गिरफ्तार किया है। यह गैंग ऑनलाइन ठगी की घटनाओं में शामिल था, जिसमें Telegram, फर्जी गेमिंग ऐप्स और बिटकॉइन निवेश योजनाओं का उपयोग कर लोगों को ठगा जा रहा था। इन गिरफ्तारियों को पटना में एक होटल में की गई छापेमारी के दौरान अंजाम दिया गया, जहां ये साइबर अपराधी छिपे हुए थे।
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साइबर धोखाधड़ी का तरीका सामने आया
साइबर गैंग का तरीका न केवल साधारण था बल्कि यह लोगों को धोखा देने के लिए बेहद प्रभावी था। यह गैंग Telegram के जरिए फर्जी ऑनलाइन टास्क भेजता था, जिसमें लोगों से कुछ सामान्य गतिविधियाँ करने को कहा जाता था। जैसे कि वीडियो को लाइक करना, समीक्षाएँ देना या सोशल मीडिया पर कंटेंट से जुड़ी कुछ क्रियाएँ करना। पहले कुछ काम पूरे करने पर victims को मामूली रिवॉर्ड मिलते थे, जो उन्हें और ज्यादा कार्य करने के लिए प्रेरित करते थे। इसके बाद, इन्हें बिटकॉइन या गेमिंग ऐप्स में अधिक पैसे निवेश करने के लिए कहा जाता था, जिससे बड़े फायदे का वादा किया जाता था।
लेकिन जब इन victims ने पैसा ट्रांसफर किया, तो ठगों ने सारी संपर्क व्यवस्था खत्म कर दी और वादा किए गए फायदे नहीं मिले। कुछ victims को माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से लोन लेने के लिए भी कहा गया, और वे लोन लेकर पैसा गैंग को दे देते थे, जो कि पूरी तरह से झूठा वादा था। पुलिस के अनुमान के अनुसार, गैंग ने अब तक लगभग 14 करोड़ 10 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है।
गिरफ्तार किए गए आरोपी और उनकी लोकेशन
गिरफ्तार किए गए आरोपियों का संबंध बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से है। इनमें कुदान कुमार (अररिया), रंजीत पासवान (जहानाबाद), अमन कुमार (पालिगंज), विक्रांत कुमार (नलंदा), पवन कुमार और सनी कुमार (गया), अनुराग वर्मा (कानपुर), नरेंद्र कुमार (कसगंज), वीरेंद्र यादव और रवि किशोर (प्रयागराज), प्रह्लाद प्रभात (रायबरेली), ऋषभ कुमार (मुजफ्फरपुर), और अंकित कुमार शामिल हैं।
यह छापेमारी पटना के खजपुरा नेहरू पथ स्थित मत्री होटल और बैंकेट हॉल में की गई थी। यह छापेमारी बिहार STF, साइबर पुलिस स्टेशन और शास्त्री नगर पुलिस स्टेशन के संयुक्त ऑपरेशन के तहत की गई। छापेमारी के दौरान पुलिस ने 15 मोबाइल फोन, एक कार और कई बैंक अकाउंट नंबर जब्त किए, जो कि इन धोखाधड़ी गतिविधियों से जुड़े हुए थे।
साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल की गई तकनीक और टूल्स
तकनीकी जांच से यह सामने आया कि जब्त किए गए मोबाइल फोन और बैंक खाता नंबर कई राज्यों से लगभग 40 पीड़ितों द्वारा की गई शिकायतों से जुड़े हुए थे। यह गैंग सोशल मीडिया और संदेश प्लेटफार्म जैसे Telegram का इस्तेमाल करके लोगों से संपर्क करता था। इसके अलावा, फर्जी गेमिंग ऐप्स का सहारा लेकर लोगों को यह विश्वास दिलाया जाता था कि वे बिना मेहनत किए आसान तरीके से पैसे कमा सकते हैं।
गैंग ने एक अत्यंत व्यवस्थित प्रणाली अपनाई थी, जिससे वे वित्तीय लेन-देन और पीड़ितों को धोखा देने में माहिर हो गए थे। कई बैंक खाता नंबर और मोबाइल उपकरणों का उपयोग कर, गैंग ने अपने ठगी के नेटवर्क को विस्तृत रूप से चलाया। अधिकारियों ने अब तक कई पीड़ितों का पता लगा लिया है, लेकिन जांच अभी भी जारी है। STF का कहना है कि वे गैंग के अन्य सदस्यों और उनके वित्तीय संचालन से जुड़े अन्य सुरागों को ढूंढने के लिए जांच कर रहे हैं।
धोखाधड़ी का आकार: लगभग 14 करोड़ रुपये और बढ़ते हुए
गैंग द्वारा की गई कुल धोखाधड़ी की रकम अब तक लगभग 14 करोड़ 10 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है, और यह आंकड़ा तब बढ़ सकता है जब और पीड़ित सामने आएंगे। विभिन्न राज्यों से आए कई पीड़ितों ने शिकायत की है कि वे ऑनलाइन टास्क या बिटकॉइन निवेश योजनाओं में निवेश करने के बाद ठगे गए। इन पीड़ितों को यह विश्वास दिलाया गया था कि वे जल्दी और आसानी से अच्छा पैसा कमा सकते हैं, लेकिन बाद में पैसा ट्रांसफर करने के बाद, scammers ने उनसे सारी संपर्कों को खत्म कर दिया।
धोखाधड़ी करने वाले इन अपराधियों ने अपने कार्यों को छिपाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया था, जिससे पुलिस को उनका पता लगाना मुश्किल हो गया था। हालांकि, बिहार STF की कड़ी मेहनत के कारण इस साइबर धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया गया है और कई अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। जांच अभी भी जारी है और पुलिस को उम्मीद है कि वे गैंग के अन्य सदस्यों और उनके धोखाधड़ी के तरीकों के बारे में और जानकारी हासिल करेंगे।
पुलिस की अपील: ऑनलाइन धोखाधड़ी से रहें सतर्क
बिहार STF ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी ऑनलाइन ऑफर से सावधान रहें जो जल्दी पैसा कमाने का वादा करता हो। पुलिस ने कहा है कि अगर कोई ऑफर बहुत अच्छा लग रहा हो और यह जल्दी पैसा कमाने का वादा करता हो, तो यह संभवतः धोखाधड़ी का हिस्सा हो सकता है।
साइबर धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, और धोखेबाज नए-नए तरीके तलाश रहे हैं ताकि वे लोगों को आसानी से ठग सकें। पुलिस ने जनता से आग्रह किया है कि वे सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि या धोखाधड़ी को तुरंत अधिकारियों को सूचित करें। STF ने यह भी कहा कि वे साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं ताकि लोग इन धोखाधड़ियों से बच सकें।
बिहार STF की साइबर अपराध से निपटने में निरंतर कोशिशें
बिहार STF का यह ऑपरेशन साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। जैसे-जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और ऑनलाइन सेवाओं का विस्तार हो रहा है, वैसे-वैसे धोखाधड़ी के मामलों में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। बिहार STF इन धोखाधड़ी गैंग्स को नष्ट करने के लिए निरंतर काम कर रही है, और इस छापेमारी को एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
STF के प्रयासों के साथ-साथ, साइबर अपराधों को रोकने के लिए आम जनता में जागरूकता फैलाना भी महत्वपूर्ण है। पुलिस ने साइबर अपराधों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई अभियान चलाए हैं। इन अभियानों के माध्यम से, STF यह सुनिश्चित करना चाहती है कि लोग इंटरनेट का सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल करें और ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार न हों।
बिहार STF की साइबर गैंग पर की गई यह कार्रवाई यह दिखाती है कि सरकार और पुलिस विभाग साइबर अपराधों के खिलाफ सख्त कदम उठा रहे हैं। गैंग के 13 सदस्यों की गिरफ्तारी और लगभग 14 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का खुलासा इस ऑपरेशन की सफलता को साबित करता है। हालांकि यह गिरफ्तारी एक बड़ी सफलता है, लेकिन ऑनलाइन धोखाधड़ी अभी भी एक गंभीर खतरा है और लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।
यह मामला यह भी दर्शाता है कि साइबर अपराधियों के नए तरीके लगातार सामने आ रहे हैं, और जनता को इन धोखाधड़ियों से बचने के लिए और भी अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है। पुलिस विभाग इस दिशा में निरंतर काम कर रहा है और साइबर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहा है, लेकिन जनता को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना चाहिए।
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