KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अभी छह महीने से ज्यादा का समय बाकी है, लेकिन राज्य की राजनीति में कुर्सी की जंग पहले ही शुरू हो गई है। महागठबंधन के भीतर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के पद को लेकर गहमागहमी बढ़ती जा रही है। इस बीच, वीआईपी (विकास इंसान पार्टी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने एक बड़ा बयान देते हुए खुद को उपमुख्यमंत्री पद का प्रमुख दावेदार बताया है। उन्होंने कहा कि यदि महागठबंधन सरकार बनाता है, तो तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री होंगे और वह उपमुख्यमंत्री के पद पर कार्य करेंगे। उनके इस बयान ने कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है, क्योंकि अब कांग्रेस को इस मांग पर निर्णय लेना होगा।
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मुकेश सहनी का बयान: बिहार की राजनीति में हलचल
वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने हाल ही में चंडी प्रखंड में “सरकार बनाओ, अधिकार पाओ” कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यदि महागठबंधन जीतता है, तो तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनेंगे और वह स्वयं उपमुख्यमंत्री के पद पर आसीन होंगे। उनके इस बयान ने महागठबंधन की आंतरिक राजनीति में नई बहस शुरू कर दी है। जबकि तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनने की बात पहले से तय मानी जा रही थी, मुकेश सहनी ने उपमुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी दावेदारी स्पष्ट की है, जिससे महागठबंधन में कुर्सी को लेकर विवाद और बढ़ गया है।
महागठबंधन में कुर्सी की जंग
महागठबंधन में शामिल आरजेडी, कांग्रेस, और वीआईपी जैसे दलों के बीच सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर पहले से ही कई सवाल उठ रहे हैं। मुकेश सहनी का यह बयान महागठबंधन के भीतर एक नई राजनीति का संकेत देता है, जहां सभी दल अपनी-अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं। इस वक्त, कांग्रेस को यह फैसला लेना होगा कि वह वीआईपी के दावे को स्वीकार करती है या नहीं।
सहनी के बयान से यह स्पष्ट है कि वीआईपी पार्टी को महागठबंधन में महत्वपूर्ण स्थान चाहिए, और वह उपमुख्यमंत्री पद को लेकर गंभीर हैं। राष्ट्रपति पद और कांग्रेस के सामने अब एक कठिन विकल्प है। क्या वह आरजेडी और तेजस्वी यादव के साथ तालमेल बनाए रखेंगे या वीआईपी के साथ कुछ समझौते करेंगे, यह आने वाले समय में देखने लायक होगा।
भा.ज.पा. पर आरोप: सत्ता से बाहर करने की साजिश
मुकेश सहनी ने इस मौके पर भा.ज.पा. पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि जब वह सत्ता में अच्छे काम कर रहे थे, तो भा.ज.पा. ने उनके खिलाफ साजिश रचकर उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया। सहनी ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा ने उनके विधायकों को खरीदने की कोशिश की थी। यह बयान बिहार की सियासत में एक नई हलचल का कारण बना है, क्योंकि सहनी की नाराजगी और भाजपा के प्रति उनका रुख पहले से ही स्पष्ट था।
एनडीए से गठबंधन पर मुकेश सहनी का स्पष्टीकरण
मुकेश सहनी ने इस पर भी प्रतिक्रिया दी कि क्या उनका भा.ज.पा. के साथ कोई गठबंधन होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका व्यक्तिगत संबंध भा.ज.पा. के बिहार अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से हो सकता है, लेकिन इसका महागठबंधन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं ने एक बार फिर से गठबंधन के लिए उनके सामने सिर झुका लिया था, लेकिन वीआईपी ने हमेशा महागठबंधन के साथ खड़ा होने का फैसला किया।
सहनी की प्राथमिकता: अपने समाज को बचाना
मुकेश सहनी ने अपनी प्राथमिकताओं के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता अपने समाज को बचाना है और केवल वही दल उनका समर्थन प्राप्त करेंगे जो उनके समुदाय के अधिकारों को सुनिश्चित करेंगे। सहनी ने यह भी कहा कि भा.ज.पा. मीडिया में झूठे बयान देकर महागठबंधन को विभाजित करने की कोशिश कर रही है। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि तेजस्वी यादव और उनके बीच का गठबंधन कोई भी तोड़ नहीं सकता।
कांग्रेस के सामने चुनौती
मुकेश सहनी के बयान ने कांग्रेस के लिए एक नया संकट खड़ा कर दिया है। महागठबंधन में अब दो प्रमुख दावेदार सामने हैं: एक तरफ तेजस्वी यादव और दूसरी ओर मुकेश सहनी। कांग्रेस को यह तय करना होगा कि वह किसे समर्थन देती है। अगर कांग्रेस वीआईपी के दावे को स्वीकार करती है, तो वह आरजेडी को नाराज कर सकती है। और अगर कांग्रेस आरजेडी के पक्ष में जाती है, तो वीआईपी के समर्थकों के बीच असंतोष पैदा हो सकता है।
इस पर कांग्रेस को सामूहिक रूप से निर्णय लेना होगा। हालांकि, कांग्रेस के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि उसे महागठबंधन की एकता को बनाए रखते हुए हर दल के हितों को संतुलित करना होगा।
बिहार में सियासी माहौल
बिहार के सियासी माहौल में इन बदलावों का गहरा असर हो सकता है। महागठबंधन में इस समय आरजेडी, कांग्रेस, और वीआईपी के बीच कई बुनियादी मुद्दों पर मतभेद हैं, और इन मुद्दों को सुलझाना आगामी विधानसभा चुनावों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा। मुकेश सहनी का उपमुख्यमंत्री बनने का दावा महागठबंधन के भीतर खींचतान को और बढ़ा सकता है, जिससे चुनावी रणनीतियों में भी बदलाव हो सकता है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की राजनीति अब अपने चरम पर पहुंचने वाली है। मुकेश सहनी के उपमुख्यमंत्री बनने के बयान ने महागठबंधन में कुर्सी की जंग को और तेज कर दिया है। यह अब महागठबंधन के भीतर के सभी दलों के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है। आरजेडी, कांग्रेस, और वीआईपी को एक दूसरे के साथ तालमेल बैठाते हुए बिहार के आगामी चुनावों के लिए एक मजबूत और एकजुट रणनीति बनानी होगी।
बिहार की राजनीति में किसकी जीत होगी, यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट होगा। लेकिन महागठबंधन के भीतर की राजनीति ने अब तक तो यह साबित कर दिया है कि यहां सत्ता की जंग में सब कुछ संभव है।
KKNLive के साथ बने रहिए, हम आपको बिहार चुनाव से जुड़े हर अपडेट और विश्लेषण से अवगत कराते रहेंगे।
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