2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ रहा है। इस चुनावी माहौल में भोजपुरी और लोक कलाकारों का सक्रिय रूप से प्रमुख राजनीतिक दलों से जुड़ना एक नई दिशा में बदलाव का संकेत दे रहा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस मामले में सबसे आगे है और इन सेलिब्रिटीज़ की सांस्कृतिक ताकत का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश कर रही है।
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BJP द्वारा कलाकारों की ओर बढ़ता रुझान
भारतीय जनता पार्टी ने भोजपुरी और लोक संगीत के प्रमुख कलाकारों को अपने राजनीतिक परिवार में शामिल करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। हाल ही में अभिनेता-संगीतकार पवन सिंह को पार्टी में फिर से शामिल किया गया, जिन्हें भाजपा के महासचिव विनोद तावड़े ने पार्टी में वापस लाया। यह कदम उस समय आया जब पवन सिंह और पार्टी के बीच कुछ आंतरिक मतभेद सुलझ गए थे। पवन सिंह की फिर से पार्टी में वापसी के बाद, भाजपा की रणनीति में एक नई हलचल मच गई है। भाजपा के लिए यह एक बड़ा राजनीतिक कदम माना जा रहा है, क्योंकि पवन सिंह की लोकप्रियता खासकर ग्रामीण इलाकों में बहुत अधिक है।
इसके साथ ही भाजपा की नज़रें दो और प्रमुख महिला कलाकारों पर टिकी हुई हैं। ये हैं लोक गायिका मैथिली ठाकुर और भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री अक्षरा सिंह। दोनों का राज्य में प्रभावशाली फैन बेस है, जिससे उनका राजनीति में प्रवेश भाजपा के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है।
मैथिली ठाकुर और अक्षरा सिंह की मुलाकातें
लोक गायिका मैथिली ठाकुर, जिनकी जड़ें बिहार की संस्कृति में गहरी हैं, हाल ही में भाजपा के महासचिव विनोद तावड़े से मिलीं। इस मुलाकात में ठाकुर ने आगामी चुनावों में उम्मीदवार बनने की इच्छा जताई। उनकी छवि साफ-सुथरी और लोकप्रिय होने के कारण वह किसी भी पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण उम्मीदवार साबित हो सकती हैं। मैथिली ठाकुर की सांस्कृतिक जड़ों और व्यापक लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा के लिए उनका समर्थन हासिल करना एक बड़ा लाभ हो सकता है।
इसी तरह, भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री अक्षरा सिंह भी अब राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई हैं। उन्होंने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात की, जिससे इस मुलाकात को लेकर काफ़ी अटकलें लगने लगीं। हालांकि अक्षरा ने इस मुलाकात को सिर्फ एक “सादर मुलाकात” करार दिया और सोशल मीडिया पर इसे बिहार के केंद्रीय मंत्री से आशीर्वाद प्राप्त करना बताया, लेकिन इसके बावजूद इस बैठक के समय ने बहुत से लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि वह राजनीति में प्रवेश करने की तैयारी कर रही हैं। यह मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि अक्षरा पहले प्रवीण किशोर के साथ नजर आ चुकी थीं, जो जन सुराज के संयोजक हैं। इस मुलाकात ने उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चाओं को और हवा दी है।
RJD और स्वतंत्र उम्मीदवारों के लिए स्टार कलाकारों का रुझान
भले ही भाजपा ने इन कलाकारों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की हो, लेकिन अन्य प्रमुख राजनीतिक दल भी पीछे नहीं हैं। कुछ रिपोर्टों से यह भी सामने आया है कि कई प्रमुख कलाकार अन्य राजनीतिक शिविरों से जुड़ने की योजना बना रहे हैं।
भोजपुरी सिंगर और अभिनेता रितेश पांडे ने पहले ही प्रशांत किशोर के जन सुराज मंच से जुड़ने का ऐलान कर दिया है। रितेश पांडे का जन सुराज के साथ जुड़ना इस पहल को और मजबूती दे सकता है, क्योंकि वह भी बिहार के ग्रामीण इलाकों में काफी लोकप्रिय हैं। उनके इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि वे अपनी संस्कृति और कला को राजनीतिक मंच पर ले आना चाहते हैं।
इसके अलावा लोक गायिका राधेश्याम रासिया भी राजनीति में कदम रखने के लिए तैयार हैं। राधेश्याम रासिया की लोकप्रियता भोजपुरी समाज में बहुत बड़ी है और उनकी एंट्री से आगामी चुनावों में रंगत आ सकती है। उनके चुनावी मैदान में उतरने से बिहार की सांस्कृतिक राजनीति में नया मोड़ आ सकता है।
खेसारी लाल यादव: RJD से चुनावी मैदान में कूदने की संभावना
भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार खेसारी लाल यादव का नाम भी इस समय राजनीति में गूंज रहा है। उनकी लोकप्रियता सिर्फ भोजपुरी सिनेमा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनके फैंस की संख्या काफी व्यापक है, जो उन्हें हर वर्ग और समुदाय में पसंद करते हैं। चर्चा यह है कि खेसारी लाल यादव जल्द ही राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के टिकट पर बिहार विधानसभा चुनाव में उतार सकते हैं। उनके राजनीतिक रूप से सक्रिय होने की संभावना ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। अगर खेसारी यादव RJD के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं, तो यह पार्टी के लिए एक बड़ा संपत्ति हो सकता है, खासकर उन सीटों पर जहां उनका प्रभाव अधिक है।
खेसारी लाल यादव की एंट्री से राजनीतिक परिदृश्य में नया परिवर्तन हो सकता है। वह भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े नामों में से एक हैं, और उनका चुनावी मैदान में उतरना इस बात का संकेत है कि वह अब अपनी कला से राजनीति की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
राजनीति में स्टार पावर का बढ़ता प्रभाव
बिहार चुनावों में स्टार पावर का बढ़ता हुआ प्रभाव यह दिखाता है कि अब सिर्फ पारंपरिक नेता ही नहीं, बल्कि कला और संस्कृति से जुड़े लोग भी राजनीति में अहम भूमिका निभा रहे हैं। फिल्म और संगीत जगत से जुड़े इन कलाकारों का जनता के बीच गहरा प्रभाव होता है। उनकी लोकप्रियता का फायदा उठाकर राजनीतिक दल चुनावी प्रचार में एक नई लहर ला सकते हैं।
यह घटना इस बात को भी स्पष्ट करती है कि अब राजनीति और मनोरंजन के बीच की दीवारें घट रही हैं। कई कलाकार राजनीति में अपनी स्थिति बनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, और यह 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एक नया मोड़ ला सकता है।
बिहार के चुनावी परिदृश्य में एक नया मोड़
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार बहुत कुछ नया देखने को मिल सकता है। स्टार कलाकारों की बढ़ती संख्या और उनकी राजनीतिक में सक्रिय भागीदारी से यह चुनाव और भी रोचक बन जाएगा। मैथिली ठाकुर, अक्षरा सिंह, रितेश पांडे, राधेश्याम रासिया और खेसारी लाल यादव जैसे नामों की उपस्थिति चुनावी रणनीति को नया आकार देगी।
सिर्फ पारंपरिक नेता ही नहीं, बल्कि अब फिल्म और संगीत के प्रमुख नाम भी अपने राजनीतिक प्रभाव से चुनावी परिदृश्य को प्रभावित करने जा रहे हैं। बिहार की जनता की मानसिकता में भी बदलाव आ रहा है, और अब वे सिर्फ पारंपरिक नेताओं के बजाय इन कलाकारों को भी अपने नेता के रूप में देख रहे हैं। यह आने वाले चुनावों में देखना होगा कि ये कलाकार राजनीतिक राजनीति में कितनी सफलता हासिल करते हैं।
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में सितारों का राजनीति में प्रवेश एक नई दिशा को जन्म देगा। भोजपुरी और लोक कला से जुड़े इन कलाकारों के जुड़ने से राजनीति में नया उत्साह और ऊर्जा आएगी। उनका फैन बेस उनके राजनीतिक कदमों को और मजबूत करेगा। अब यह देखना होगा कि कौन सा सितारा अपने राजनीतिक करियर में सफलता पाता है और कौन पार्टी के लिए एक बड़ा चेहरा बनकर उभरता है।



