बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले National Democratic Alliance (NDA) की सीट बंटवारे की घोषणा ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल (यूनाइटेड) यानी JDU दोनों ने 243 विधानसभा सीटों में से 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यह बराबरी का फॉर्मूला पहली बार लागू किया गया है और विपक्ष इसे Nitish Kumar के खिलाफ Political Game बता रहा है।
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पहली बार बराबर सीटें, उठे सियासी सवाल
1996 में NDA गठबंधन बनने के बाद से अब तक JDU हमेशा “बड़े भाई” की भूमिका में रही थी। 2020 के चुनावों में JDU ने 115 सीटों पर जबकि BJP ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उस वक्त Nitish Kumar का राजनीतिक कद BJP से ऊपर माना जाता था। लेकिन परिणामों ने तस्वीर बदल दी — BJP ने 74 सीटें जीतकर 68 प्रतिशत की स्ट्राइक रेट हासिल की, जबकि JDU सिर्फ 43 सीटों पर सिमट गई।
अब जब दोनों दलों ने बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, तो विपक्ष का कहना है कि यह कदम Nitish Kumar को “राजनीतिक रूप से कमजोर” करने की रणनीति है।
विपक्ष ने बताया साजिश, Nitish को कमजोर करने की कोशिश
पूर्णिया के निर्दलीय सांसद Pappu Yadav ने इस फॉर्मूले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह Nitish Kumar को राजनीतिक रूप से खत्म करने की “साजिश” है। सोशल मीडिया पर Yadav ने लिखा, “Sanjay Jha ने अपना मिशन पूरा कर लिया है। Nitish को खत्म करने की साजिश सफल हो गई।”
Pappu Yadav का आरोप है कि यह पूरा समीकरण Nitish Kumar को हाशिए पर लाने के लिए तैयार किया गया है। उनका दावा है कि BJP का मकसद चुनाव के बाद JDU को कमजोर कर सत्ता की बागडोर अपने हाथ में लेना है।
RJD नेता Mrityunjay Tiwari ने भी यही आरोप दोहराया। उन्होंने कहा कि, “चुनाव के बाद BJP, JDU को खत्म कर देगी। पहले JDU बड़े भाई की भूमिका में थी, अब उसे BJP के बराबर ला दिया गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि Chirag Paswan की पार्टी को मिले सीटों के बाद BJP के प्रभाव वाली सीटें करीब 130 हो गई हैं, जो JDU पर दबाव बढ़ाने के लिए पर्याप्त हैं।
Chirag Paswan फैक्टर ने बढ़ाई JDU की चिंता
इस समीकरण में एक बड़ा फैक्टर है Chirag Paswan की Lok Janshakti Party (Ram Vilas) जिसे 29 सीटें दी गई हैं। शुरू में Paswan ने 40 सीटों की मांग की थी लेकिन बाद में 29 सीटों पर समझौता हुआ। BJP के सूत्रों के अनुसार, “LJP (RV) को उसकी हैसियत से ज्यादा सीटें मिली हैं।”
यह कदम JDU के भीतर चिंता का कारण बना है क्योंकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि BJP ने LJP को मजबूत कर JDU का जनाधार कमजोर करने की कोशिश की है।
कांग्रेस सांसद Manoj Jha ने भी सवाल उठाया है कि जब अन्य दलित नेताओं जैसे Jitan Ram Manjhi को सिर्फ 6 सीटें दी गई हैं, तो क्या यह सच्चे अर्थों में दलित समाज का सम्मान है या फिर राजनीतिक गणित का खेल?
BJP की रणनीति: मुख्यमंत्री पद पर नजर?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बराबर सीट बंटवारा BJP की एक दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। इसका मकसद यह देखना है कि अगर JDU फिर से कमजोर प्रदर्शन करती है, तो BJP मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश कर सके।
2020 के चुनावों में JDU को सिर्फ 43 सीटें मिली थीं, जबकि BJP 74 सीटें जीतने के बावजूद Nitish Kumar को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा था। लेकिन इस बार BJP ने बराबरी का फॉर्मूला लागू कर अपनी पोजिशन मजबूत कर ली है। अगर JDU कम सीटें जीतती है, तो BJP के पास सत्ता संभालने का तर्क होगा।
यह सीट बंटवारा BJP के लिए Power Gateway साबित हो सकता है — एक ऐसा रास्ता जिससे पार्टी बिहार की सत्ता में निर्णायक भूमिका निभा सके।
महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ीं
जबकि NDA ने अपना सीट बंटवारा जल्दी तय कर लिया, Mahagathbandhan अभी तक अपने भीतर तालमेल नहीं बिठा पाया है। कांग्रेस, RJD और वाम दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर लगातार बातचीत चल रही है।
BJP नेताओं ने इस देरी पर चुटकी लेते हुए विपक्षी गठबंधन को “Lathbandhan” कहा है। कांग्रेस महासचिव Jairam Ramesh ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष Mallikarjun Kharge ने RJD प्रमुख Lalu Prasad और पूर्व उपमुख्यमंत्री Tejashwi Yadav से बैठक की है, जिसमें सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा हुई।
बिहार की राजनीति में ऐतिहासिक बदलाव
JDU और BJP के बीच बराबर सीट बंटवारे का यह फैसला बिहार की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। पिछले 15 वर्षों में JDU की सीट हिस्सेदारी में करीब 29 प्रतिशत की गिरावट आई है। कभी “बड़े भाई” की भूमिका में रही पार्टी अब बराबरी के स्तर पर आ गई है।
यह परिवर्तन न केवल JDU की घटती ताकत का संकेत है बल्कि BJP के बढ़ते प्रभाव का भी प्रतीक है। BJP नेताओं का कहना है कि यह “दबाव की राजनीति नहीं, बल्कि समान भागीदारी का अभ्यास” है। लेकिन विपक्ष इसे एक “रणनीतिक जाल” बता रहा है जो Nitish Kumar के भविष्य को प्रभावित कर सकता है।
आगे की राह: चुनावी संग्राम का नया दौर
बिहार में विधानसभा चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होंगे और परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। बराबर सीट बंटवारे का यह फॉर्मूला अब NDA के लिए एक बड़ी परीक्षा है।
विपक्ष का कहना है कि BJP ने Nitish Kumar को कमजोर करने की चाल चली है, जबकि BJP इसे सहयोग और संतुलन का प्रतीक बता रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का नहीं बल्कि बिहार की क्षेत्रीय राजनीति की दिशा तय करने वाला होगा। अगर JDU कमजोर पड़ती है तो यह Nitish Kumar के लंबे राजनीतिक करियर का निर्णायक मोड़ बन सकता है।
BJP और JDU के बीच बराबर सीट बंटवारे ने बिहार की राजनीति को एक नए मोड़ पर ला दिया है। विपक्ष इसे Nitish Kumar को कमजोर करने की रणनीति बता रहा है, वहीं BJP इसे गठबंधन में समानता का प्रतीक बता रही है।
अब पूरा ध्यान चुनावी मैदान पर है, जहां जनता तय करेगी कि यह नया फॉर्मूला NDA के लिए मजबूती का कारण बनेगा या फिर विपक्ष के आरोपों को सच साबित करेगा।
यह निश्चित है कि नवंबर में होने वाले चुनाव बिहार की राजनीतिक दिशा को आने वाले वर्षों के लिए बदल सकते हैं — और इस बार दांव पर सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि Nitish Kumar का राजनीतिक भविष्य भी है।
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