KKN गुरुग्राम डेस्क | उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक बड़ा हेलिकॉप्टर हादसा हुआ है। गंगोत्री जा रहा एक निजी हेलिकॉप्टर गुरुवार सुबह भागीरथी नदी के पास क्रैश हो गया, जिसमें पांच यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई। हेलिकॉप्टर में कुल सात लोग सवार थे, जिनमें से दो गंभीर रूप से घायल हैं।
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यह हादसा चारधाम यात्रा के दौरान हुआ है, जब गंगोत्री में श्रद्धालुओं की संख्या में भारी इजाफा देखा जा रहा है। दो घायल यात्रियों को तत्काल AIIMS ऋषिकेश भेजा गया है।
हादसे का समय और स्थान
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दिनांक: 8 मई 2025
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स्थान: भागीरथी नदी के पास, उत्तरकाशी, उत्तराखंड
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गंतव्य: गंगोत्री धाम
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कंपनी: निजी चार्टर सेवा
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सवार लोग: 7 (5 मृत, 2 घायल)
हेलिकॉप्टर ने हर्षिल हेलीपैड की ओर उड़ान भरी थी, लेकिन लैंडिंग से ठीक पहले उसका ATC (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) से संपर्क टूट गया। कुछ ही मिनटों में स्थानीय लोगों ने धुएं का गुबार और तेज आवाज सुनी।
NDRF और SDRF की रेस्क्यू टीम मौके पर
हादसे की सूचना मिलते ही NDRF (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) और SDRF (राज्य आपदा मोचन बल) की टीमों को घटनास्थल पर रवाना किया गया। भारतीय वायुसेना ने भी राहत कार्यों में सहयोग किया।
चुनौतियां:
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पहाड़ी इलाका होने के कारण राहत कार्यों में देरी हुई।
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घायलों को निकालने के लिए हवाई मार्ग और पैदल दोनों का सहारा लिया गया।
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दो घायलों को एयरलिफ्ट कर इलाज के लिए भेजा गया।
स्थानीय चश्मदीदों की गवाही
हर्षिल और मटली गांव के ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने एक जोरदार धमाका सुना और तुरंत बाद धुआं उठते देखा। एक ग्रामीण ने कहा:
“हमें लगा भूकंप हुआ है, लेकिन फिर देखा कि जंगल की ओर से धुआं आ रहा है। बाद में पता चला कि हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया है।”
एक बचे हुए यात्री, जो बेहद घायल हालत में थे, ने बताया:
“उड़ान सामान्य थी लेकिन अचानक हेलिकॉप्टर हिलने लगा और फिर तेज गिरावट महसूस हुई।”
हादसे के संभावित कारण: तकनीकी खराबी या मौसम की मार?
हालांकि हादसे की असली वजह अभी सामने नहीं आई है, लेकिन DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) द्वारा जांच शुरू कर दी गई है। शुरुआती जांच में तकनीकी खराबी और खराब मौसम को संभावित कारण माना जा रहा है।
विशेषज्ञों की राय:
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गंगोत्री घाटी में तेज हवाएं और कम वायुदाब अक्सर हेलिकॉप्टरों के लिए चुनौती बनते हैं।
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इंजन फेल होना या बर्फ जमने की स्थिति में हेलिकॉप्टर का नियंत्रण बिगड़ सकता है।
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क्रैश स्थल के पास कई तीव्र मोड़ और गहरी खाइयाँ हैं जो नेविगेशन को मुश्किल बनाती हैं।
हेलिकॉप्टर सेवा और चार्टर ऑपरेटर की जांच
यह हेलिकॉप्टर दिल्ली स्थित एक निजी चार्टर कंपनी द्वारा संचालित किया जा रहा था जो उत्तराखंड और हिमाचल में यात्रियों के लिए सेवाएं देती है। दस्तावेजों के अनुसार हेलिकॉप्टर ने दो महीने पहले ही अपना नियमित निरीक्षण पास किया था।
अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस कंपनी ने सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया था या नहीं।
चारधाम यात्रा और हवाई यात्रा की बढ़ती चुनौती
चारधाम यात्रा के दौरान गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जाने वाले यात्रियों की संख्या हर साल लाखों में होती है। वृद्ध और अस्वस्थ श्रद्धालु अक्सर हेलिकॉप्टर सेवा का सहारा लेते हैं।
बढ़ते जोखिम:
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मौसम का अचानक बदलना
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अधिक भीड़, सीमित उड़ान स्लॉट
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कई बार ओवरलोडिंग की शिकायतें
पिछले एक दशक में उत्तराखंड में 12 से अधिक हवाई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें से अधिकतर चारधाम यात्रा के दौरान हुईं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा:
“श्रद्धालुओं की मौत अत्यंत दुखद है। मैंने घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। हम यात्रा को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए सभी उपाय करेंगे।”
साथ ही मुख्यमंत्री ने निजी हेलिकॉप्टर सेवाओं के ऑडिट के भी संकेत दिए हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया: सुरक्षा बनाम सुविधा
हादसे के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने गुस्सा जाहिर किया और पूछा कि:
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क्या निजी हेलिकॉप्टर सेवाओं की सुरक्षा की जांच होती है?
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क्यों नहीं है GPS ट्रैकिंग और रीयल-टाइम मॉनिटरिंग?
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मौसम की स्पष्टता के बिना उड़ान क्यों भरी जाती है?
आगे की कार्रवाई: विस्तृत जांच और नीतिगत बदलाव
DGCA और HAL की संयुक्त टीम ने मौके पर पहुंचकर ब्लैक बॉक्स, उड़ान रिकॉर्ड और तकनीकी विवरण की जांच शुरू कर दी है। शुरुआती रिपोर्ट 7 दिनों में, और अंतिम रिपोर्ट 60 दिनों के भीतर आने की संभावना है।
संभावित बदलाव:
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उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में फ्लाइट कैप
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मौसम आधारित उड़ान अनुमोदन प्रणाली
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हेलिपैड पर रियल-टाइम वेदर सेंसर
गंगोत्री के समीप हुआ यह हादसा हमें याद दिलाता है कि श्रद्धा की यात्रा के साथ सुरक्षा का संतुलन आवश्यक है। पहाड़ों में हेलिकॉप्टर सेवाओं का विस्तार जितना तेज़ हो रहा है, उतनी ही जरूरी है उनकी सुरक्षा मानकों की निगरानी और कड़ाई।
सरकार, ऑपरेटर कंपनियों और नागरिकों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि चारधाम यात्रा जैसे पवित्र अवसर कभी भी त्रासदी में ना बदलें।
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