सावन के पावन सोमवार पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में बड़ा हादसा हो गया। हैदरगढ़ तहसील स्थित अवसानेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर अचानक एक बिजली का तार गिरने से भगदड़ मच गई। टीन शेड और लोहे की पाइप से करंट फैलने के कारण दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 47 लोग घायल हो गए।
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यह दुर्घटना तड़के लगभग तीन बजे उस समय हुई जब मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए लाइन में लगे थे। मंदिर प्रशासन ने भीड़ के प्रबंधन के लिए टीन शेड और लोहे के पाइप की व्यवस्था की थी, लेकिन तार गिरने से पूरा ढांचा करंट की चपेट में आ गया और अफरा-तफरी मच गई।
बंदर के कारण टूटा बिजली का तार, मचा हड़कंप
प्रशासन के अनुसार यह हादसा एक बंदर के बिजली के तार पर कूदने से हुआ। तार टूटकर मंदिर के गेट पर गिर गया और उससे करंट पूरे टीन शेड और पाइप में फैल गया। अचानक करंट फैलने से लोगों के बीच अफवाह फैल गई और भगदड़ की स्थिति बन गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बिजली की चपेट में आए दो लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि दर्जनों लोग भागते समय गिरकर या दबकर घायल हो गए। घायल श्रद्धालुओं को तुरंत त्रिवेदीगंज और हैदरगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती कराया गया, जबकि गंभीर रूप से घायल दो लोगों को जिला अस्पताल रेफर किया गया है।
मृतकों में एक की हुई पहचान, दूसरे की तलाश जारी
इस दर्दनाक घटना में मरने वालों में एक की पहचान प्रशांत, पुत्र राम गोपाल, निवासी मुबारकपुर थाना लोनीकटरा, बाराबंकी के रूप में हुई है। दूसरे मृतक की शिनाख्त की प्रक्रिया जारी है।
घटना के तुरंत बाद जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी और पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। प्रशासन ने तुरंत हेलीकॉप्टर से होने वाली पुष्पवर्षा के कार्यक्रम को रद्द कर दिया, जो सुबह 8 बजे आयोजित होने वाला था।
घायलों की सूची जारी, सबसे छोटा घायल चार साल का
इस हादसे में घायल हुए श्रद्धालुओं की सूची प्रशासन ने जारी कर दी है। घायलों में महिलाएं, पुरुष, किशोर और बच्चे शामिल हैं। सबसे छोटा घायल बच्चा चार साल का शुभम है, जबकि बाकी घायलों में बड़ी संख्या में 10 से 30 वर्ष की उम्र के लोग हैं।
घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर चिकित्सा के लिए रेफर किया गया है। डॉक्टर्स का कहना है कि कई घायलों की स्थिति अब स्थिर है, लेकिन कुछ को निगरानी में रखा गया है।
श्रद्धालु बोले – करंट की बात सुनकर मची भगदड़
घटनास्थल पर मौजूद लोगों का कहना है कि जैसे ही करंट की खबर फैली, भीड़ में भगदड़ मच गई। कुछ लोग शॉर्ट सर्किट की चपेट में आकर गिर पड़े और बाकियों ने जान बचाने के लिए दौड़ लगानी शुरू कर दी।
हालांकि पुलिस और स्थानीय प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से हालात जल्दी काबू में आ गए। मंदिर के गेट पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और अब दर्शन व्यवस्था सामान्य हो चुकी है। श्रद्धालु दोबारा कतारों में लगकर दर्शन कर रहे हैं।
भीड़ प्रबंधन पर फिर उठे सवाल, सुरक्षा व्यवस्था नाकाफी
मनसा देवी मंदिर हादसे के बाद बाराबंकी की यह घटना एक बार फिर Religious Crowd Management की कमजोरियों को उजागर करती है। सावन जैसे महीनों में जब लाखों श्रद्धालु मंदिरों में आते हैं, तब प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है।
बिजली के तारों की सुरक्षा, टीन शेड और धातु से बने ढांचों की स्थिति और आपातकालीन उपायों की तैयारियों पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। हादसे के बाद से ही स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने जांच की मांग उठाई है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है।
जांच के आदेश, हेल्थ और इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर बनेगा प्लान
जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने स्पष्ट किया है कि हादसे की जांच के आदेश दे दिए गए हैं और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए भीड़ नियंत्रण, बिजली सुरक्षा और Emergency Medical Setup को लेकर नया प्लान बनाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि हादसे में घायल सभी लोगों का इलाज मुफ्त किया जा रहा है और जरूरत पड़ने पर विशेष डॉक्टरों की टीम भी बुलाई जाएगी।
लगातार हादसे और धार्मिक आयोजन में लापरवाही
मनसा देवी के बाद बाराबंकी और अब गोला गोकर्णनाथ के रास्ते में हुई भगदड़ जैसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि धार्मिक आयोजनों में अब भी सुरक्षा व्यवस्था प्राथमिकता में नहीं है।
हर साल सावन में लाखों श्रद्धालु मंदिरों में आते हैं, लेकिन भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी खतरनाक साबित हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब धार्मिक आयोजनों के लिए Disaster Preparedness Model अनिवार्य होना चाहिए।
बाराबंकी के अवसानेश्वर मंदिर की घटना न सिर्फ एक दुखद हादसा है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा को नजरअंदाज करना जानलेवा साबित हो सकता है।
सरकार, प्रशासन और मंदिर प्रबंधन को अब यह समझना होगा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा किसी भी शोभायात्रा या धार्मिक क्रिया से कम नहीं है। श्रद्धा के इस माह में यदि सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हुई तो आने वाले आयोजनों में ऐसे हादसे और बढ़ सकते हैं।
श्रद्धालुओं को चाहिए कि वे भीड़ में संयम बनाए रखें और अफवाहों पर ध्यान न दें। साथ ही प्रशासन को हर आयोजन से पहले Electrical Safety Audit, Crowd Flow Design और Emergency Health System की पूर्व योजना बनानी होगी।
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