बिहार की राजनीति फिर से करवट ले रही है… और इस बार कहानी सिर्फ चुनाव की नहीं, चरित्रों की है — आरव, तेज कुमार, प्रयाग बाबू, और सत्यम जैसे चेहरे, जो सत्ता के लिए साजिशों की हवेली में शतरंज की बिसात बिछा चुके हैं। एक ओर है अतीत का जंगल, दूसरी ओर भविष्य का सपना… और इनके बीच है मतदाता, जो तय करेगा कि यह कहानी किस मोड़ पर जाकर ठहरेगी। इस रिपोर्ट में हम ले चलेंगे आपको पटना के राजनीतिक गलियारे से लेकर गांव की चौपाल तक — जहां नारा, नाराजगी और नई सोच… टकरा रहे हैं। सवाल अब सीधा है—क्या कोई कृष्ण भी होगा, जो इस युद्ध को दिशा देगा?
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