KKN गुरुग्राम डेस्क | केदारनाथ धाम, उत्तराखंड के चारधामों में से एक और भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल, आज 2 मई 2025 को सुबह 7 बजे भक्तों के लिए खोल दिया गया है। सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण बंद होने वाले इस मंदिर के कपाट अब ग्रीष्म ऋतु के आगमन के साथ फिर से खोले गए हैं। मंदिर खुलते ही श्रद्धालुओं में उत्साह और भक्ति का वातावरण देखने को मिला।
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108 क्विंटल फूलों से सजा बाबा का दरबार
इस वर्ष बाबा केदारनाथ के मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया है। गुजरात और ऋषिकेश से आई पुष्प समिति द्वारा मंदिर को 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। मंदिर परिसर रंग-बिरंगे फूलों, उनकी सुगंध और भव्यता से दिव्य प्रतीत हो रहा है। हजारों श्रद्धालु केवल दर्शन ही नहीं, बल्कि इस अद्भुत सजावट को देखने भी केदारनाथ पहुंच रहे हैं।
बाबा केदार की डोली यात्रा: आस्था की शुरुआत
मंदिर के कपाट खुलने से पहले बाबा केदारनाथ की पवित्र डोली को परंपरा के अनुसार ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर से निकाला गया। यह यात्रा इस प्रकार रही:
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27 अप्रैल: डोली पूजन के साथ ऊखीमठ से प्रस्थान
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28 अप्रैल: गुप्तकाशी पहुंची
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29 अप्रैल: फाटा
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30 अप्रैल: गौरीकुंड
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1 मई: केदारनाथ धाम
यह डोली यात्रा भगवान शिव के ग्रीष्मकालीन निवास स्थान लौटने की प्रतीक मानी जाती है।
कपाट खुलने की विधि: शास्त्र सम्मत परंपरा
केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलने की प्रक्रिया वेदिक मंत्रोच्चार, ढोल-नगाड़ों और जयकारों के बीच सम्पन्न हुई। पारंपरिक अनुष्ठानों के बाद ही श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दी गई। हर वर्ष यह प्रक्रिया हजारों साल पुरानी परंपराओं का निर्वहन करते हुए संपन्न की जाती है।
दर्शन का समय: कब खुलते हैं मंदिर के कपाट?
केदारनाथ मंदिर खुलने के बाद दर्शन का समय इस प्रकार है:
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सुबह आरती: 4:00 AM से 7:00 AM
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दर्शन के लिए खुला समय: 7:00 AM से 3:00 PM
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शाम की पूजा और आरती: 5:00 PM से 7:00 PM
ध्यान दें कि दोपहर में मंदिर कुछ समय के लिए बंद भी रहता है, इसलिए दर्शन के लिए प्रातः जल्दी पहुंचना बेहतर रहेगा।
केदारनाथ यात्रा 2025: यात्रा पर जाने से पहले रखें ये जरूरी सामान
केदारनाथ यात्रा एक धार्मिक लेकिन चुनौतीपूर्ण ट्रैकिंग यात्रा है। यहां तक पहुंचने के लिए 16 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी होती है। यहां कुछ जरूरी चीजें हैं जो आपके साथ होनी चाहिए:
1. खाने-पीने का सामान
पानी की बोतलें, ड्राई फ्रूट्स, एनर्जी बार, चॉकलेट और हल्का भोजन अपने पास रखें। ट्रैकिंग के दौरान ऊर्जा बनाए रखने में मदद मिलेगी।
2. मजबूत जूते
चप्पल या सैंडल से बचें। पर्वतीय रास्तों के लिए ट्रैकिंग शूज़ या मजबूत ग्रिप वाले जूते पहनें।
3. ऊनी कपड़े
रात के समय यहां तापमान शून्य से नीचे जा सकता है। ऊनी कपड़े, दस्ताने, टोपी और जैकेट जरूर रखें।
4. दवाइयों की किट
दर्द निवारक स्प्रे, बैंडेज, एंटीसेप्टिक क्रीम, पाचन दवाएं और ऊंचाई पर चढ़ाई से राहत देने वाली दवाएं जरूर रखें।
5. पालकी और खच्चर सेवा
अगर आप चलने में असमर्थ हैं, तो यात्रा मार्ग पर पालकी या खच्चर की सुविधा ले सकते हैं। यह सेवा सोनप्रयाग और गौरीकुंड से उपलब्ध होती है।
यात्रा से जुड़े सरकारी निर्देश और स्वास्थ्य मापदंड
उत्तराखंड सरकार द्वारा केदारनाथ यात्रा के लिए कुछ जरूरी दिशा-निर्देश लागू किए गए हैं:
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बायोमैट्रिक पंजीकरण अनिवार्य है
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12 वर्ष से कम और 70 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को यात्रा की सलाह नहीं दी जाती
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मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र ज़रूरी हो सकता है
यात्रा से पहले Char Dham Yatra वेबसाइट से रजिस्ट्रेशन कर लें।
आपातकालीन सुविधाएं और सुरक्षा व्यवस्था
उत्तराखंड प्रशासन ने भारी संख्या में यात्रियों के मद्देनज़र:
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NDRF और SDRF की टीमें तैनात की हैं
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हर 3-5 किलोमीटर पर मेडिकल कैंप लगाए गए हैं
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जगह-जगह CCTV कैमरे और डिजिटल सूचना बोर्ड लगाए गए हैं
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मौसम और आपात स्थिति के लिए हेल्पलाइन नंबर सक्रिय हैं
पर्यावरण सुरक्षा: स्वच्छ और सुरक्षित यात्रा के लिए नियम
केदारनाथ क्षेत्र एक संवेदनशील हिमालयी पर्यावरण क्षेत्र है। यात्रियों से अनुरोध है कि वे:
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प्लास्टिक का प्रयोग न करें
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कूड़ा निर्धारित स्थानों पर ही डालें
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प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान न पहुंचाएं
केदारनाथ कैसे पहुंचें?
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नजदीकी शहर: ऋषिकेश
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सड़क मार्ग से: ऋषिकेश → सोनप्रयाग → गौरीकुंड
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ट्रैकिंग मार्ग: गौरीकुंड से केदारनाथ (16 किमी)
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हेली सेवा: फाटा, गुप्तकाशी, सिरसी से हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध
रहने की व्यवस्था: GMVN और धर्मशालाएं
केदारनाथ और इसके आसपास GMVN के गेस्ट हाउस, टेंट कॉलोनी और कई धर्मशालाएं मौजूद हैं। मई-जून के पीक सीजन में यात्रा करने वालों को पहले से बुकिंग कर लेना चाहिए।
आध्यात्मिक महत्व: क्यों खास है केदारनाथ?
मान्यता है कि पांडवों ने यहां भगवान शिव की तपस्या कर पापों से मुक्ति पाई थी। यह मंदिर आदि शंकराचार्य द्वारा 8वीं सदी में पुनः स्थापित किया गया था। केदारनाथ न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि आत्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग भी है।
केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई 2025 को खुल चुके हैं, और अब हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए उत्तराखंड की ऊंचाइयों की ओर निकल पड़े हैं। यदि आप भी इस यात्रा पर जाने की योजना बना रहे हैं, तो ऊपर बताए गए निर्देशों और तैयारी को जरूर अपनाएं।
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