KKN गुरुग्राम डेस्क | भारत में Cybercrime और Telecom Fraud को रोकने के लिए सरकार लगातार कड़े कदम उठा रही है। अब Department of Telecommunications (DoT) ने Telecom Companies को निर्देश दिया है कि वे Digital Integrated Verification System (DIVS) लागू करें। इस नई प्रणाली का उद्देश्य फर्जी दस्तावेजों से सिम कार्ड प्राप्त करने और उन्हें धोखाधड़ी या आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल करने पर रोक लगाना है।
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पिछले महीने, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने DoT को सख्त निर्देश दिए थे कि सभी नए सिम कार्ड के लिए आधार-बेस्ड बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन को अनिवार्य किया जाए। अब, DoT ने टेलीकॉम कंपनियों को इस नए नियम को लागू करने के लिए कहा है, जिससे सिम कार्ड फ्रॉड और साइबर क्राइम में कमी आएगी।
सिम कार्ड के लिए आधार-बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन अनिवार्य
Moneycontrol की रिपोर्ट के अनुसार, पहले नए मोबाइल कनेक्शन के लिए Voter ID, Passport या अन्य Government ID का उपयोग किया जा सकता था। लेकिन अब नए नियमों के तहत, सभी नए सिम कार्ड कनेक्शन के लिए आधार-बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है।
सिम कार्ड वेरिफिकेशन प्रक्रिया में हुए बदलाव
✔ रिटेलर्स बिना आधार-बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के सिम कार्ड नहीं बेच सकेंगे।
✔ हर ग्राहक के नाम पर कितने सिम कार्ड जारी हैं, इसकी निगरानी की जाएगी।
✔ अगर कोई व्यक्ति अलग-अलग नामों से सिम कार्ड ले रहा है, तो उसकी भी जांच की जाएगी।
✔ कस्टमर का फोटो 10 अलग-अलग एंगल से लिया जाएगा, जिससे पहचान की पुष्टि की जा सके।
इस नई प्रक्रिया का उद्देश्य फर्जी पहचान पत्रों के जरिए सिम कार्ड जारी करने पर रोक लगाना और उन्हें साइबर अपराधों में इस्तेमाल होने से बचाना है।
फ्रॉड सिम कार्ड पर सरकार की कड़ी कार्रवाई
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा टेलीकॉम सेक्टर की समीक्षा बैठक के बाद यह फैसला लिया गया था। इस बैठक में यह सामने आया कि कई साइबर क्राइम और फाइनेंशियल फ्रॉड में फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल हो रहा है। जांच में यह भी पाया गया कि एक ही डिवाइस से कई सिम कार्ड लिंक किए जा रहे थे, जो टेलीकॉम नियमों का उल्लंघन है।
इस पर रोक लगाने के लिए, DoT को निर्देश दिया गया कि वह Law Enforcement Agencies के साथ मिलकर अपराधियों की पहचान करे और उन पर कार्रवाई करे। इसके अलावा, सरकार ने AI-बेस्ड Fraud Detection Tools के उपयोग पर भी जोर दिया है, जिससे फर्जी सिम कार्ड की पहचान आसान होगी।
फ्रॉड सिम कार्ड जारी करने वाले रिटेलर्स पर होगी कार्रवाई
✔ अगर कोई रिटेलर फर्जी दस्तावेजों से सिम कार्ड जारी करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
✔ संदिग्ध मोबाइल नंबरों को ट्रैक करने के लिए AI-टूल्स का इस्तेमाल किया जाएगा।
✔ फेक आइडेंटिटी से लिए गए सिम कार्ड्स पर निगरानी बढ़ाई जाएगी।
सरकार के ये कदम सुनिश्चित करेंगे कि देशभर में सिम कार्ड जारी करने और ट्रैकिंग की प्रक्रिया को और सख्त बनाया जाए।
सिक्योर टेलीकॉम ऑपरेशन के लिए डिजिटल इंटीग्रेटेड वेरिफिकेशन सिस्टम (DIVS)
Telecom Security को और मजबूत करने के लिए सरकार ने Digital Integrated Verification System (DIVS) लागू करने के निर्देश दिए हैं। यह नया सिस्टम:
✔ फर्जी पहचान के जरिए जारी किए गए सिम कार्ड को रोकने में मदद करेगा।
✔ देशभर में जारी किए गए सिम कार्ड्स को ट्रैक करने की क्षमता बढ़ाएगा।
✔ Telecom Regulations के अनुसार, सिम कार्ड जारी करने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाएगा।
DIVS के जरिए, सरकार टेलीकॉम सिक्योरिटी को और मजबूत कर रही है, जिससे हर मोबाइल कनेक्शन का वेरिफिकेशन और ट्रैकिंग आसान हो सके।
सरकार क्यों सिम कार्ड वेरिफिकेशन को सख्त बना रही है?
भारत में Cybercrime और Online Fraud के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है। Criminals फर्जी डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल करके सिम कार्ड लेते हैं, जिससे वे साइबर फ्रॉड, ऑनलाइन ठगी और अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
✔ साइबर अपराधी नकली सिम कार्ड का इस्तेमाल करके फिशिंग और बैंकिंग फ्रॉड करते हैं।
✔ बिना वेरिफिकेशन के जारी हुए सिम कार्ड्स से किए गए फाइनेंशियल फ्रॉड तेजी से बढ़े हैं।
✔ इनका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों और अन्य अपराधों में भी किया जा सकता है।
अब, Aadhaar-बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन से फर्जी सिम कार्ड का उपयोग पूरी तरह से बंद किया जा सकता है और टेलीकॉम यूजर्स के लिए सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है।
नए सिम कार्ड वेरिफिकेशन की प्रक्रिया कैसे होगी?
नई प्रणाली में वेरिफिकेशन प्रक्रिया को और मजबूत किया गया है, जिससे हर सिम कार्ड सही व्यक्ति को जारी किया जाए।
स्टेप-बाय-स्टेप सिम कार्ड वेरिफिकेशन प्रोसेस
- ग्राहक को आधार कार्ड देना होगा।
- रिटेलर ग्राहक का बायोमेट्रिक डेटा (फिंगरप्रिंट या आइरिस स्कैन) लेगा।
- कस्टमर की 10 अलग-अलग एंगल से फोटो ली जाएगी।
- टेलीकॉम कंपनी यह जांच करेगी कि ग्राहक के नाम पर पहले से कितने सिम कार्ड एक्टिव हैं।
- Digital Integrated Verification System (DIVS) में डेटा स्टोर किया जाएगा।
इस प्रक्रिया से हर नए सिम कार्ड को पूरी तरह से वेरिफाई किया जाएगा, जिससे फ्रॉड और सिक्योरिटी रिस्क को कम किया जा सके।
नए सिम कार्ड नियमों का प्रभाव
Aadhaar-बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन और DIVS लागू होने से कई फायदे होंगे:
1. साइबर क्राइम और फाइनेंशियल फ्रॉड में कमी
सख्त वेरिफिकेशन के कारण फर्जी सिम कार्ड्स का गलत उपयोग कम होगा, जिससे साइबर क्राइम में गिरावट आएगी।
2. मोबाइल यूजर्स के लिए बेहतर सुरक्षा
हर मोबाइल नंबर सत्यापित होगा, जिससे ग्राहक अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे।
3. टेलीकॉम कंपनियों के लिए बेहतर नियंत्रण
सिम कार्ड जारी करने की पारदर्शी प्रक्रिया से टेलीकॉम कंपनियां फ्रॉड को रोकने में सक्षम होंगी।
4. लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों को मिलेगी मदद
एक सेंट्रलाइज्ड मोबाइल नंबर डेटाबेस होने से अपराधियों को ट्रैक करना आसान होगा।
Aadhaar-बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन लागू करना भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में एक बड़ा बदलाव है। इस नए नियम से:
✔ फर्जी सिम कार्ड्स जारी करने पर रोक लगेगी।
✔ टेलीकॉम यूजर्स के लिए सिक्योरिटी बढ़ेगी।
✔ साइबर क्राइम पर सरकार की पकड़ मजबूत होगी।
हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हो सकती हैं, लेकिन लॉन्ग-टर्म में यह नियम मोबाइल नेटवर्क को सुरक्षित बनाने में मदद करेगा।
क्या आपका सिम कार्ड सही तरीके से वेरिफाई हुआ है? अपडेट्स के लिए जुड़े रहें!
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