KKN गुरुग्राम डेस्क | भारत में स्तन कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है, जिसमें हर साल लगभग 2 लाख नए मामले सामने आते हैं। WHO की ग्लोबल कैंसर रिपोर्ट 2022 के अनुसार, यह देश में कुल कैंसर मामलों का 14% है। हालांकि, भारत में स्तन कैंसर की दर (प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 37 मामले) उन्नत देशों से कम (प्रति 1 लाख पर 90-100 मामले) है, लेकिन मृत्यु दर काफी अधिक है। इसका मुख्य कारण स्तन कैंसर का देर से पता चलना है, जिससे उपचार की सफलता दर घट जाती है।
स्तन कैंसर से मृत्यु दर अधिक क्यों है?
भारत में स्तन कैंसर से मृत्यु दर अधिक होने का सबसे बड़ा कारण देर से निदान (लेट-स्टेज डिटेक्शन) है। लगभग 60% मामलों का पता तीसरे या चौथे चरण में चलता है, जिससे उपचार की सफलता कम हो जाती है।
स्तन कैंसर के प्रमुख जोखिम कारक (Risk Factors) निम्नलिखित हैं:
- बदलती जीवनशैली
- मोटापा
- धूम्रपान और शराब का सेवन
- देरी से माँ बनने की प्रवृत्ति
भले ही जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन ग्रामीण और संसाधन-विहीन क्षेत्रों में शुरुआती पहचान आज भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
स्तन कैंसर की शुरुआती पहचान: कम लागत वाला लेकिन प्रभावी तरीका
स्तन कैंसर की शुरुआती पहचान के लिए सबसे आसान और किफायती तरीका क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन (CBE) है। यह प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों (जैसे कि नर्सों) द्वारा किया जा सकता है और इसके लिए किसी महंगे उपकरण की जरूरत नहीं होती।
लेकिन राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के अनुसार, भारत में केवल 2% महिलाएँ ही स्तन कैंसर की नियमित जांच कराती हैं।
भारत में स्तन कैंसर की जांच में बाधाएँ
डॉ. अनिता गाडगिल, सीनियर रिसर्च फेलो, द जॉर्ज इंस्टिट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ, इंडिया, के अनुसार, स्तन कैंसर की जाँच में सामाजिक वर्जनाएँ (सोशल स्टिग्मा) एक बड़ी बाधा हैं।
- स्वास्थ्यकर्मी खुद ही स्तन स्वास्थ्य से जुड़े सवाल पूछने में हिचकिचाते हैं, जबकि वे मधुमेह (डायबिटीज) और उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) की जाँच नियमित रूप से करते हैं।
- महिलाएँ अक्सर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHCs) पर भरोसा नहीं करतीं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें बड़े अस्पताल ही जाना पड़ेगा।
- कैंसर का डर महिलाओं को लक्षण छिपाने या चेकअप न कराने के लिए मजबूर कर देता है, जिससे बीमारी बढ़ जाती है।
स्तन कैंसर से बचाव के लिए जीवनशैली में बदलाव आवश्यक
स्तन कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना बेहद जरूरी है।
- योग और प्राकृतिक स्वास्थ्य पद्धतियों को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ जोड़ने से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
- यह खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में फायदेमंद हो सकता है, जहाँ कैंसर उपचार केंद्रों (Tertiary Cancer Care Centers) की उपलब्धता सीमित होती है।
जिला अस्पतालों में स्तन कैंसर का इलाज उपलब्ध कराना जरूरी
स्तन कैंसर के इलाज में मास्टेक्टॉमी (स्तन हटाने की सर्जरी) एक आम प्रक्रिया है। यह जिला अस्पतालों में भी प्रभावी रूप से की जा सकती है, लेकिन इसके लिए सर्जनों को सही प्रशिक्षण देना जरूरी है।
- अभी यह सर्जरी ज्यादातर उन्नत कैंसर सेंटरों (Tertiary Centers) पर ही होती है, जबकि अन्य अस्पतालों में यह असंगत रूप से की जाती है।
- जिला स्तर के सर्जनों को प्रशिक्षित करने से:
- बड़े अस्पतालों का बोझ कम होगा।
- अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतर उपचार उपलब्ध होगा।
- देशभर में समान स्तर की चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित की जा सकेगी।
तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से इलाज को आसान बनाया जा सकता है
डॉ. गाडगिल का मानना है कि स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बढ़ाने के लिए तकनीक का उपयोग जरूरी है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए प्रारंभिक जाँच
- मोबाइल एप्स के जरिए जागरूकता बढ़ाना
- टेलीमेडिसिन (Telemedicine) के जरिए दूरस्थ स्थानों में उपचार उपलब्ध कराना
हालांकि, भारत में अभी तक अधिकांश शोध केवल समस्या की पहचान पर केंद्रित हैं, जबकि तकनीक आधारित समाधान अब भी सीमित दायरे में ही किए जा रहे हैं।
स्तन कैंसर से मृत्यु दर को कम करने के लिए आवश्यक रणनीतियाँ
भारत में स्तन कैंसर से होने वाली मौतों को कम करने और जीवन दर को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनाई जानी चाहिए:
- प्रारंभिक पहचान की रणनीति – CBE और AI-आधारित स्क्रीनिंग
- स्वास्थ्य कर्मियों को बेहतर प्रशिक्षण – स्तन कैंसर की पहचान और उपचार में विशेषज्ञता बढ़ाना
- सस्ती और सुलभ चिकित्सा सुविधाएँ – ग्रामीण इलाकों में स्तन कैंसर का सही समय पर इलाज उपलब्ध कराना
- सामाजिक जागरूकता अभियान – स्तन स्वास्थ्य पर वर्जनाओं को खत्म करना और महिलाओं को जाँच के लिए प्रेरित करना
स्तन कैंसर से निपटने के लिए समय पर पहचान और सही उपचार आवश्यक हैं। यदि जाँच की सुविधाएँ और जागरूकता बढ़ाई जाए, तो भारत में स्तन कैंसर से होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है।
अब समय आ गया है कि तकनीक, जागरूकता, और प्रशिक्षण को मिलाकर स्तन कैंसर की रोकथाम और इलाज को अधिक प्रभावी बनाया जाए। इससे महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार होगा और देशभर में स्तन कैंसर का बोझ कम होगा।