भाजपा का ‘श्वेत पत्र’ बनाम कांग्रेस का ‘ब्लैक पेपर’
कौशलेन्द्र झा, KKN न्यूज। भारत में लोकसभा चुनाव 2024 का विधिवत आगाज होना अभी बाकी है। इस बीच नेताओं की जुबानी जंग शुरू हो चुकी है। कहतें हैं कि आरोप- प्रत्यारोप, प्रजातंत्र की सुबसूरती है। पर, भारत की राजनीति में इसके गिरते स्तर को लेकर हालिया वर्षो में चिंता बढ़ी है। तल्ख तेवर के बयान से आपत्ति नहीं है। आपत्ति असहिष्णु बयान से है। इसकी वजह से अक्सर समाजिक दूरियां बढ़ती है। मजबूत राष्ट्र की निरंतरता के लिए यह अच्छे संकेत नहीं है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए यह सिलसिला अभी से आरंभ हो चुका है। इस लोकसभा चुनाव में पहली बार पत्र को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। भाजपा अपने विरोधियों को बेनकाब करने के लिए श्वेत पत्र लाने की तैयारी में है। दूसरी ओर कॉग्रेस ने ब्लैक पेपर निकाल कर भाजपा की पोल खोलने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।
कॉग्रेस की कमजोरियों को इंगित करेगा श्वेत पत्र
मोदी सरकार यूपीए के दस साल के शासन पर श्वेत पत्र के माध्यम से हमलावर है। स्वयं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश करते समय इस बात का जिक्र किया है। श्वेत पत्र, दरअसल में एक सूचनात्मक रिपोर्ट होता है। यह सरकार की नीतियों, उपलब्धियों और मुद्दों की जानकारी देता है। स्टैनफोर्ड लॉ स्कूल के अनुसार सरकारी कागजात वितरण के लिए रंग-कोडित होते हैं। सार्वजनिक पहुंच के लिए सफेद रंग को नामित किया जाता है। लिहाजा, सरकारें अक्सर मुद्दों पर चर्चा करने, कार्रवाई का सुझाव देने या निष्कर्ष निकालने के लिए किसी खास विषय पर एक श्वेत पत्र जारी करती रही है। मोदी सरकार श्वेत पत्र के माध्यम से यह बताना चाहती है कि जब यूपीए की सत्ता खत्म हुई तो देश की आर्थिक स्थिति क्या थी। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में कहा था कि यूपीए सरकार के दौरान जो संकट पैदा हुआ था, उससे निपट लिया गया है। यानी संकेत साफ है। कॉग्रेस को उनके आर्थिक और समाजिक मुद्दो पर घेरने की योजना है।
कॉग्रेस के ब्लैक पेपर में क्या हो सकता है
कांग्रेस ने पलटवार करते हुए एनडीए के दस साल के शासनकाल पर ब्लैकपेपर लाने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे स्वयं मोदी सरकार के दस साल के शासनकाल पर ब्लैक पेपर पेश कर सकतें हैं। इस ब्लैक पेपर में मोदी सरकार द्वारा की गई कमियों का विस्तार से जिक्र होने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त पिछले दस सालों में आर्थिक मोर्चा पर लोगों को जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है, उन्हें भी गिनाया जा सकता है। इसमें बढ़ते बेरोजगारी और मंहगाई का जिक्र होने की उम्मीद है। विशेष करके पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर कॉग्रेस जोरदार हमला कर सकती है। समाजिक और सम्प्रदायिक तनाबाना को लेकर कुछ चूभते सवालों को कॉग्रेस के द्वारा उठाया जा सकता है। यानी पत्र का जवाब पत्र से देने की पूरी तैयारी है।