आजादी के बाद भारत की राजनीति गरीब और गरीबी के इर्द- गिर्द घूमती रही है। पार्टी चाहे कोई हो। पर, हमारे रहनुमा अक्सर अपने भाषणों में गरीब और मध्यम वर्ग के कल्याण का दावा करते नहीं थकते है। दूसरी ओर गौर करें तो सच्चाई चुभन पैदा करती है। गरीबों के नाम पर सत्ता की सीढ़ी चढ़ने वाले देश के अधिकांश सांसद और विधायक खुद के लिए दोनों हाथ से सुख- सुविधा बटोर रहे होते है। वेतन भत्ता और अन्य कई प्रकार की सुविधा लेने वाले हमारे रहनुमा कई राज्यों में अपनी आय का टैक्स भी सरकारी खजाने से भरते है। यानी उसी गरीब और मध्यम वर्ग के कमाई से जमा हुई टैक्स की राशि से सुख भोगते है। यह एक गंभीर विषय है और आज हम आपको इसकी सच्चाई समझना जरूरी है।