बिहार में कोरोना का मीटर तेजी से बढ़ रहा है। गांव की स्थिति शहर से भी अधिक खराब है। तैयारी के नाम पर स्थानीय प्रशासन महज खानापूर्ति करने में लगी है। अव्वल तो जांच नहीं होता। यदि हो गई, तो रिपोर्ट आने में सप्ताह बीत जाता है। सैनेटाइजेशन और मास्क की गांव में रश्म अदायिगी भी ठीक से करने को कोई तैयार नहीं है। गांव के हाट-बाजार में सोशल डिस्टेंस महज तकिया-कलाम बन कर रह गया है। ऐसे में हालात बेकाबू हुआ तो क्या होगा? इसी विषय पर केकेएन लाइव के ऑन लाइन परिचर्चा में शामिल हुये समाजिक कार्यकर्ता पूर्व मुखिया मो. सदरुल खां, शिक्षक दिलिप कुमार, समाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता सोनू कुमार और पत्रकार कृष्णमाधव सिंह। देखिए, पूरी रिपोर्ट…