KKN गुरुग्राम डेस्क | भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव ने न केवल क्षेत्रीय शांति को खतरे में डाला है, बल्कि वैश्विक राजनीति की दिशा भी बदल दी है। भारत के “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद जहां चीन और ईरान को कूटनीतिक फायदा मिल रहा है, वहीं अमेरिका की रणनीतिक स्थिति कमजोर होती जा रही है।
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ऑपरेशन सिंदूर: घटनाक्रम की शुरुआत
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में 9 स्थानों पर कार्रवाई की। इन हमलों का उद्देश्य जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को खत्म करना था।
चीन की रणनीतिक मुस्कान
भारत की ऊर्जा में बंटवारा
भारत-पाकिस्तान तनाव यदि लंबा चलता है, तो भारत का फोकस घरेलू और सीमा विवादों पर केंद्रित रहेगा। इसका लाभ चीन को मिलेगा, क्योंकि भारत की बढ़ती क्षेत्रीय भागीदारी (विशेषकर इंडो-पैसिफिक रणनीति) धीमी हो सकती है।
पाकिस्तान के साथ मजबूत गठबंधन
चीन पहले से ही पाकिस्तान का रणनीतिक साझेदार है। मौजूदा हालात में चीन पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा होकर दक्षिण एशिया में अपनी पकड़ और मजबूत करने की कोशिश करेगा। इससे भारत के प्रभाव को सीमित करने का मौका मिलेगा।
ईरान को मिली कूटनीतिक राहत
अमेरिका का ध्यान भटका
गाजा-इज़राइल संघर्ष में उलझा अमेरिका अब भारत-पाक विवाद के कारण और अधिक दबाव में आ गया है। ऐसे में अमेरिका का ईरान पर फोकस कमजोर हो गया है, जिससे तेहरान को परमाणु समझौते और क्षेत्रीय नीति में राहत मिल सकती है।
बढ़ती क्षेत्रीय भूमिका
ईरान इस स्थिति का फायदा उठाकर खुद को दक्षिण एशिया और मध्य एशिया में एक मध्यस्थ और प्रभावशाली देश के रूप में स्थापित कर सकता है। इससे उसकी कूटनीतिक स्थिति और मजबूत होगी।
अमेरिका की रणनीतिक उलझन
भारत और पाकिस्तान – दोनों पुराने साझेदार
अमेरिका के लिए भारत एक उभरता हुआ रणनीतिक सहयोगी है, लेकिन पाकिस्तान भी दशकों पुराना रक्षा सहयोगी रहा है। ऐसे में अमेरिका के लिए दोनों देशों के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो गया है।
कूटनीतिक पकड़ में ढील
भारत और पाकिस्तान दोनों के तनाव से अमेरिका की कूटनीतिक प्राथमिकता कमजोर पड़ रही है। चीन और ईरान जहां अपनी रणनीति को मजबूती दे रहे हैं, वहीं अमेरिका केवल प्रतिक्रियात्मक स्थिति में नजर आ रहा है।
वैश्विक प्रभाव और प्रतिक्रियाएं
संयम की अपील
संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, रूस, चीन समेत कई देशों ने भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील की है। सभी की यही कोशिश है कि यह विवाद किसी बड़े युद्ध में न बदल जाए।
दक्षिण एशिया में अस्थिरता का खतरा
यदि यह तनाव बढ़ता है, तो पूरे दक्षिण एशिया में अस्थिरता फैल सकती है। इससे न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा प्रभावित होगी, बल्कि वैश्विक आर्थिक माहौल पर भी असर पड़ेगा।
भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव अब केवल सीमा विवाद नहीं रहा, बल्कि वैश्विक कूटनीति का केंद्र बन गया है। चीन और ईरान इस मौके को रणनीतिक रूप से भुनाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि अमेरिका की पकड़ कमजोर होती दिख रही है। आने वाले समय में यह देखा जाना बाकी है कि भारत इस स्थिति से कैसे उभरता है और क्या अमेरिका अपनी भूमिका फिर से मजबूत कर पाता है।
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