KKN गुरुग्राम डेस्क | भारत और चीन के बीच रिश्तों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं, और इसके साथ ही दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों की बहाली और वीज़ा सामान्यीकरण को लेकर चर्चा तेज़ हो गई है। ये दोनों मुद्दे लंबे समय से चीन की प्राथमिक मांगों में शामिल रहे हैं। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री के आज से शुरू हो रहे बीजिंग दौरे के दौरान इन अहम विषयों पर बातचीत होने की संभावना है। यदि इन चर्चाओं में सकारात्मक परिणाम आता है, तो दोनों देशों के बीच वर्षों से रुकी हुई हवाई और यात्रा सुविधा जल्द ही सामान्य हो सकती है।
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कोविड-19 महामारी से पहले, भारतीय एयरलाइन्स इंडिगो और एयर इंडिया ने दिसंबर 2019 में भारत-चीन सीधी उड़ानों का लगभग 31 प्रतिशत (168 उड़ानें) संचालन किया था। इन उड़ानों का बड़ा योगदान दोनों देशों के व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत करने में था। हालांकि, महामारी और उसके बाद बढ़ते कूटनीतिक तनाव के चलते 2020 से भारत और चीन के बीच नियमित यात्री उड़ानें बंद हैं।
सीधी उड़ानों की बहाली पर बातचीत
भारत-चीन सीधी उड़ानों की बहाली पर चर्चा सितंबर 2024 में उस समय तेज़ हुई, जब भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने चीन के नागरिक उड्डयन प्रशासन के प्रमुख सॉन्ग झियॉन्ग से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों देशों ने यात्रियों के लिए सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने की संभावनाओं पर चर्चा की।
इसके पहले, जून 2024 में, एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि चीन भारत पर सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने का दबाव डाल रहा था। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बातचीत का सकारात्मक परिणाम निकला तो भारत और चीन के बीच यातायात और व्यापारिक संबंधों में नई ऊर्जा आ सकती है।
वीज़ा सामान्यीकरण: संबंधों में सुधार का एक कदम
सीधी उड़ानों की बहाली के साथ-साथ वीज़ा प्रक्रियाओं को सामान्य बनाने पर भी ज़ोर दिया जा रहा है। महामारी के दौरान यात्रा पर लगे प्रतिबंध और कठोर वीज़ा नीतियों ने व्यापार, शिक्षा और पर्यटन को बुरी तरह प्रभावित किया। अब वीज़ा प्रक्रिया को सरल और सामान्य बनाने से इन क्षेत्रों में सुधार की उम्मीद की जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि वीज़ा प्रक्रियाओं का सामान्यीकरण दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को बढ़ा सकता है। इससे विशेष रूप से छात्रों, व्यापारियों और पेशेवरों को लाभ होगा, जो महामारी के कारण यात्रा प्रतिबंधों का सामना कर रहे थे।
क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक प्रभाव
भारत और चीन के बीच यात्रा पुनः शुरू होने से केवल कूटनीतिक रिश्ते ही नहीं सुधरेंगे, बल्कि इसका असर क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक सहयोग पर भी पड़ेगा। बढ़ती हवाई कनेक्टिविटी से दोनों देशों के बीच संवाद और आपसी समझ बेहतर हो सकती है, जो क्षेत्रीय शांति में योगदान दे सकती है।
आर्थिक दृष्टिकोण से, यह कदम व्यापार और निवेश को भी बढ़ावा देगा। वर्तमान में, चीन भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है, और यात्रा सुगमता से इस सहयोग को और मजबूती मिल सकती है।
विमानन क्षेत्र की उत्सुकता
भारत और चीन की एयरलाइंस इन चर्चाओं पर कड़ी नज़र रख रही हैं। इंडिगो, एयर इंडिया, एयर चाइना और चाइना सदर्न जैसी एयरलाइंस के लिए भारत-चीन मार्ग एक प्रमुख बाजार है। महामारी से पहले ये मार्ग व्यस्ततम मार्गों में शामिल थे, जिन पर व्यापारियों, छात्रों और पर्यटकों की भारी संख्या यात्रा करती थी।
यदि उड़ानों की बहाली होती है, तो इससे न केवल विमानन क्षेत्र को वित्तीय मदद मिलेगी, बल्कि पर्यटन, होटल और खुदरा क्षेत्रों को भी नई रफ़्तार मिलेगी।
चुनौतियां क्या हैं?
हालांकि, इन संभावनाओं के बावजूद कई चुनौतियां इस प्रक्रिया को जटिल बना सकती हैं।
- कूटनीतिक तनाव: भारत और चीन के बीच हाल के वर्षों में हुए सीमा विवाद और तनाव ने रिश्तों को प्रभावित किया है। इन मुद्दों को हल किए बिना पूर्ण यात्रा बहाली मुश्किल हो सकती है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताएं: महामारी के बाद स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर दोनों देशों की नीतियों में अंतर है। इन नीतियों को समन्वित करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
- नियामक बाधाएं: यात्रा बहाली के लिए दोनों देशों को वीज़ा, उड़ान कार्यक्रम, और स्वास्थ्य प्रोटोकॉल पर स्पष्ट और पारदर्शी नियम बनाने होंगे।
आगे का रास्ता
विदेश सचिव विक्रम मिस्री का यह दौरा भारत-चीन रिश्तों के भविष्य के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बातचीत सफल होती है, तो 2025 के मध्य तक सीधी उड़ानें फिर से शुरू हो सकती हैं। इसके बाद वीज़ा प्रक्रिया का सामान्यीकरण भी हो सकता है, जो रुके हुए व्यापारिक और शैक्षिक परियोजनाओं को गति देगा।
भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों की बहाली और वीज़ा प्रक्रियाओं का सामान्यीकरण कूटनीतिक संबंधों में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। इन चर्चाओं से न केवल यात्रा और व्यापार में आसानी होगी, बल्कि दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग का नया अध्याय भी शुरू हो सकता है।
हालांकि, इस प्रक्रिया में कई चुनौतियां हैं, लेकिन यदि दोनों पक्ष आपसी सहमति से इन मुद्दों को सुलझाते हैं, तो यह कदम केवल भारत-चीन के रिश्तों को ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास को भी नई ऊंचाई पर ले जा सकता है।
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