साहित्य समाज का आईना होता है। एक साहित्यकार अपनी कथानक के माध्यम से अपने दौर का चित्रण कर देता है। सिनेमा भी इसी की एक विधा है। फिल्में अपने दौर का दस्तावेज होती हैं। कहतें है कि आज का दौर रुपये इखट्ठा करने का दौर है और चंद रुपये की लालच में हममें से कई लोगो ने साहित्य की इस विधा को बदनाम करने में गुरेज नहीं किया है। नतीजा, मौजूदा दौर के सिनेमा का विवादो से चोली दामन का संबंध होना स्वभाविक है। कुछ लोग इसको स्ट्रैटजी बतातें है। यानी जान बूझ कर विवाद खड़ा करो। प्रचार बटोरो और रुपये कमाओं। सच क्या है। मुझे नहीं पता। पर, इससे इनकार भी नहीं है कि ओटीटी पर रिलीज होने वाली वेब सीरीज को लेकर अक्सर कोई न कोई नया विवाद खड़ा होना अब नई बात नहीं रही। आखिरकार इस विवाद की वजह क्या है। क्यों जानबूझ कर विवादित विषयो को तरगेट किया जाता है। देखिए, इस रिपोर्ट में…