मध्यरात्रि की मादक जश्नो के बीच वर्ष 2021 ने अपना पहला कदम रख दिया है। सूरज की पहली किरणो के साथ नई उम्मीदें अंगराई भरने लगी है। कैलेंडर बदल चुका है। अरमानो की उछाल परवाज भरने को बेताब है। खुशी वर्ष 2020 के बीत जाने की है। भयानक यादों के इतिहास बन जाने की है। हालांकि, 2020 को भूलना आसान नहीं होगा। मीलो पैदल सफर करते मजदूरो को भूलना आसान नहीं होगा। क्वारंटाइन सेंटर से छन छन कर बाहर आ रही जिन्दगी की मुश्किलों को भूलना आसान नहीं होगा। श्मसान में दिनरात जलती चिताओं को भूलना आसान नहीं होगा और खौफ के बीच पसरे मरघटी सन्नाटा के बीच तन्हा हो चुके जिन्दगी को भूलना आसान नहीं होगा। इसके बीच कुछ अच्छी यादें भी है और इसको भूल पाना भी आसान नहीं होगा। देखिए, पूरी रिपोर्ट…
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