बात 16 अगस्त 1942 की है। तपती दुपहरिया में हरका के सहदेव झा के नेतृत्व में करीब एक हजार लोग की भीड़ पूर्व योजना के मुताबिक मुस्तफागंज पर इखट्ठा हो चुकी थी। मकसद था मीनापुर थाना से यूनियन जैक उतार कर तिरंगा फहराने की। दिन के करीब 2 बजे ही थे, कि देश भक्तो की हुजूम जुलूश की शक्ल में मीनापुर थाना की ओर बढ़ना शुरू कर देती है। वह 40 का दशक था और राष्ट्रभक्ति का जज्बा ऐसा कि मीनापुर थाना पर तिरंगा फहराने की जद्दोजहद करते हुए बांगूर सहनी अंग्रेजो की गोली से शहीद हो गये और थानेदार की चिता सजाने वाले जुब्बा सहनी को जूरी के आदेश पर 11 मार्च 1944 को भागलपुर के सेंट्रल जेल में फांसी पर लटका दिया गया था।
This post was published on %s = human-readable time difference 19:00
आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और चीन ने साम्यवाद का पथ चुना।… Read More
मौर्य साम्राज्य के पतन की कहानी, सम्राट अशोक के धम्म नीति से शुरू होकर सम्राट… Read More
सम्राट अशोक की कलिंग विजय के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। एक… Read More
KKN लाइव के इस विशेष सेगमेंट में, कौशलेन्द्र झा मौर्यवंश के दूसरे शासक बिन्दुसार की… Read More
322 ईसा पूर्व का काल जब मगध का राजा धनानंद भोग-विलास में लिप्त था और… Read More
नाग और सांप में फर्क जानने का समय आ गया है! हममें से अधिकांश लोग… Read More