मैं सजदे में नहीं था, आपको धोखा हुआ होगा : दुष्यंत कुमार

Featured Video Play Icon

गजल, हिन्दी साहित्य की एक नई विधा है। नई विधा इसलिए है, क्योंकि गजल मूलत: फारसी की काव्य विधा मानी जाती है। फारसी से यह उर्दू में आई और यही रच बस गई। कालांतर में हिन्दी गजल का प्रचलन भी तेजी से हुआ। गजल को प्रेम की अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम माना जाता था। टूटे हुए आशिक के मुंह से बरबस फुट पड़ने वाला अल्फाज माना जाता था। अपनी प्रेमिका के उलझे हुए केशुओं को सहलाने और उसके कोमल स्पर्श को महसूस करने की खुबसूरत अंदाज माना जाता था। किंतु, 70 का दशक आते-आते युवा कवि दुष्यंत कुमार ने गजल को कोठे की रंगीन दुनिया से खींच कर आक्रोश से उबलते युवाओं की जुबान बना दिया। बुझती राख को चिंगारी बना दिया। दुष्यंत कुमार ने आक्रोश को शब्दो में ऐसे पिरोया कि युवाओं के अरमान कुलाचे भरने लगा। देखिए, इस रिपोर्ट में…

 

 

KKN लाइव WhatsApp पर भी उपलब्ध है, खबरों की खबर के लिए यहां क्लिक करके आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं।

Leave a Reply