संविधान सभा में दिए अपने आखिरी भाषण में बाबा साहेब डॉ. बीआर आंबेडकर ने कई बातों की ओर इशारा किया था। वो बातें आज भी मौजू है। आजादी के बाद की राजनीति में हमने बाबा साहेब को संकीर्णता में समझने की बड़ी भूल कर दी। अब उनके संपूर्ण और समग्र व्यक्तित्व को समझने की बहुत जरुरत है। अखंडता का मतलब सिर्फ भूगोल की एका से नहीं है। बल्कि, दिलों में पल रहें नफरती सोच से है। दूसरो के प्रति सार्वभौमिक सम्मान से है। सिर्फ अधिकार नहीं, बल्कि सम्यक कर्तव्य से है। सत्ता शीर्ष और उसके शिखर पर पहुंचने की आपाधापी में हमने इसे खंडित कर दिया है। कुंठित कर दिया है। कुंठा से पनपे इसी अवसाद को बाबा साहेब ने बहुत पहले पहचान लिया था। उन्होंने इसके उपाय भी सुझाए है। पर, दुर्भाग्य से हमने उसका अनुसरण नहीं किया। बाबा साहेब ने इस खतरा को बहुत पहले ही माप लिया था। बातों को ठीक से समझने के लिए देखिए पूरा वीडियो….
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