एक कालजयी महामानव, जो जन्म से ही अनेक प्रकार की संपन्नताओ से परिपूर्ण था। निराशा भरी नश्तरो की चुभन से बहुत दूर, सफलताएं जिसका भाग्य बनने को उतावली हो रही थीं। वैभव, जिसके चंवर डुलाता था और सुविधाएं, जिसके पांव पखार रही थीं। बावजूद इसके, वह अपना सर्वश्व न्यौछावर करके, स्वेच्छा से सुखो का त्याग करके, वैराग्य धारण करके, वनविहारी हो जाए तो निस्संदेह यह घटना अलौकिक भी है और असाधारण भी। कहतें हैं ऐसे ही लोग इतिहास रचते है और महावीर बन जातें हैं। जीहां, हम बात कर रहें हैं भगवान महावीर की। हम आपको बतायेंगे, राजकुमार वर्द्धमान के भगवान महावीर बनने की पूरी कहानी। देखिए, इस रिपोर्ट में…
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