कोर्ट के इस अनूठे निर्णय ने एक परिवार को उजड़ने से बचा लिया
पूजा श्रीवास्तव
पश्चिम बंगाल। यह वाकया बीरभूम जिले की है। यहां की गौतम दास और अहना एक दूसरे से बेहद प्यार करते थे। लंबे समय से एक दूसरे को जानने और समझने के बाद मार्च 2016 में दोनों ने शादी कर ली। कहतें हैं कि पहले प्यार किया, फिर शादी कर ली और इसके बाद शुरू हुआ तकरार। नौबत जब तलाक तक पहूंच गयी तो दंपति ने कोर्ट में अर्जी भी लगा दी। किंतु, जज ने तलाक देने से पहले सजा के तौर पर इस दंपति को तीन रात होटल के एक कमरे में अकेले साथ रहने के बाद दूबारा कोर्ट आकर नए सिरे से तलाक की अर्जी लगाने का आदेश दे दिया।
16 जनवरी को सुनवाई के दौरान जज पार्थ सार्थी ने जब यह होटल के कमरे में दोनो को अकेले तीन रात रहने का आदेश दिया तो पति-पत्नी ने जज की सलाह को यह कहते हुई मानने से इनकार कर दिया कि उनके पास होटल में रहने के लिए पैसे नहीं हैं। फिर क्या था जज ने कहा कि इसका खर्च भी वही दे देंगे। इस बीच सरकारी वकील रणजीत गांगुली ने होटल में रहने का खर्चा दे दिया। जज ने पुलिस से कहा कि वो इस दौरान पति-पत्नी को सुरक्षा प्रदान करें। बाद में वकील रणजीत गांगुली ने इन दोनों के लिए बीरभूम में होटल बूक कर दिया और दोनो एक साथ इसी होटल में तीन रात रहने के बाद जब कोर्ट लौटे तो खुश थे और तलाक की अर्जी वापिस ले ली। अब फिर से दोनो पति पत्नी साथ रहने को राजी हो गए है। फिलहाल, पश्चिम बंगाल सहित पूरे देश में कोर्ट के इस निर्णय की जबरदस्त सराहना होने लगी है।